2020 से 7 बार बढ़ा रेपो रेट
रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती से आम आदमी को होम लोन, वाहन, पसर्नल लोन की ईएमआइ में राहत मिली है। केंद्रीय बैंक ने पिछली बार कोविड के दौरान मई 2020 में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की थी। तब रेपो रेट को घटाकर 4% कर दिया गया था। इसके बाद 7 बार रेपो में इजाफा किया गया, जिससे यह बढक़र 6.5% पर पहुंच गया। फरवरी 2023 के बाद रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
कितनी घटेगी EMI
यदि किसी ने 50 लाख रुपए का होम लोन 8.5% की ब्याज दर से 20 साल के लिए लिया है और आरबीआइ यदि 0.25% की कटौती की घोषणा के बाद ईएमआइ काफी कम हो जाएगी। 8.5% दर से हर माह 43,391 रुपए की ईएमआइ देनी पड़ती है, जो कटौती के बाद नई ब्याज दर 8.25% पर 42,603 रुपए हो जाएगी, जिसमें महीने में 788 रुपए की बचत और साल भर में 9,456 रुपए की बचत होगी। यदि 5 लाख रुपए का कार लोन 12% की दर पर लिया है तो 11,282 रुपए हर माह ईएमआइ देने पड़ते हैं। यदि कटौती हुई तो कार लोन की नई ईएमआई 11,149 रुपए होगी। जिसमें 133 रुपए महीने के और सालभर में 1,596 रुपए की बचत होगी। किन सेक्टर्स को फायदा, किन्हें नुकसान ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि ब्याज दरों में कटौती से ऊंचे फिक्स्ड रेट वाले लेंडर्स को फायदा मिलेगा। अनसिक्योर्ड लेंडर्स, व्हीकल-गोल्ड फाइनेंस कंपनियों को इसका फायदा मिलेगा। हालांकि ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि रेट कट से हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को नुकसान हो सकता है। वहीं ब्रोकरेज फर्म एचएसबीसी का कहना है कि रेट कट लिक्विडिटी, रेगुलेशन और पॉलिसी के लिहाज से अहम है। लिक्विडिटी और रेगुलेशन में नरमी बाजार के लिए पॉजिटिव होगी। बड़े एनबीएफसी को रेट कट से सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। हालांकि सरकारी बैंकों को बहुत ज्यादा फायदा होने की उम्मीद नहीं है।