निजी ऑपरेटर नहीं देते ध्यान रोडवेज बेड़े में करीब 3500 बसें हैं। इनमें से 2800 बसें रोडवेज की हैं। इसके अलावा 700 बसें अनुबंध पर हैं जिनका संचालन निजी ऑपरेटर्स की ओर से किया जाता है। लेकिन बसों को सड़कों पर उतारने के बाद इनकी जांच नहीं करते। ऐसे में खराब बस भी यात्रियों को लेकर दौड़ती है। नतीजा यह होता है कि बस दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। पिछले दिनों जिस बस से हादसा हुआ वह निजी ऑपरेटर की थी और बस का टायर फटा था।
डिप्टी सीएम ने पकड़ी थी खराब बस पिछले दिनों डिप्टी सीएम और परिवहन मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने राजापार्क में चलती हुई रोडवेज बस को रुकवाया था। बस में पीछे से आवाज आ रही थी। दरअसल, डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा दिल्ली जा रहे थे। उनकी नजर जयपुर डिपो की बस पर पड़ी। बस के पीछे से आवाज आ रही थी। उन्होंने बस को रुकवा लिया। इसके बाद चालक, परिचालक को लताड़ लगाई। इतना ही नहीं डिपो मैनेजर से फटकार लगाकर दूसरी बस भेजने के निर्देश दिए ।
हर महीने 90 करोड़ का नुकसान रोडवेज में भले ही आय बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन इसी के साथ निगम का खर्चा बढ़ रहा है। रोडवेज की ओर से खर्चा कम करने पर काम नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि निगम हर महीने 90 करोड़ रुपए के नुकसान में है। रोडवेज को प्रति महीने 150 करोड़ रुपए की आय हो रही है। इससे अधिक 240 करोड़ रुपए का खर्चा हो रहा है। इस हिसाब से रोडवेज रोज तीन करोड़ के नुकसान में चल रही है। बीते 10 साल के आंकड़ों को देखें तो प्रति किलोमीटर 23 रुपए खर्चा बढ़ गया है। रोडवेज की वर्तमान हालत बस चलाने तक की नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार और राजस्थान ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड (आरटीआइडीएफ) से मिलने वाले अनुदान से रोडवेज अपने कर्मचारियों की सैलरी सहित अन्य खर्चे निकाल रहा है। रोडवेज में सालों से बसों की खरीद नहीं हुई।
रोडवेज बेड़े में करीब 1300 नई बसें आनी हैं। इसके बाद जो कबाड़ बसें हैं उन्हें हटाया जा सकेगा। रोडवेज बसों की फिटनेस और मेंटिनेंस समय-समय पर की जाती हैं। रवि सोनी, कार्यकारी निदेशक, यांत्रिक
सरकार को नई बसें समय पर देनी चाहिए ताकि यात्री सुरक्षित बसों में सफर कर सकें। निजी ऑपरेटर्स पर लगाम लगानी चाहिए। – हनुमान सहाय भारद्वाज, महामंत्री, राजस्थान परिवहन निगम मज़दूर कांग्रेस (इंटक)