सम्मेलन में नागर ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कोयला स्रोतों से एक हजार किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित राज्यों को ‘पिट हेड’ पर ही थर्मल प्लांट लगाने की बाध्यता से छूट दी जाए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि राजस्थान के छबड़ा और कालीसिंध क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम के अंतर्गत 3200 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट लगाने की अनुमति दी जाए।
उनका कहना था कि यह परियोजना राजस्थान जैसे कोयला स्रोतों से दूर राज्यों के लिए आवश्यक और व्यावहारिक है। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम पर विशेष ध्यान देते हुए उन्होंने केंद्र से 1000 मेगावाट की प्रस्तावित परियोजना के अतिरिक्त 5000 मेगावाट की और बैटरी स्टोरेज क्षमता के लिए सहायता मांगी।
राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक लगभग 90 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का है। प्रदेश की अनुमानित अधिकतम विद्युत मांग वर्ष 2028-29 तक 26.5 गीगावाट तक पहुंच सकती है, जिसे पूरा करने के लिए लगभग 18.5 गीगावाट बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम की आवश्यकता होगी। इसे हर साल 5000 मेगावाट बैटरी स्टोरेज क्षमता जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है।
ऊर्जा मंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि प्रदेश को स्टोरेज परियोजनाओं के लिए ‘वायबिलिटी गैप फंडिंग’ के तहत वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराया जाए, जिससे राज्य की ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित दीर्घकालिक योजनाएं साकार हो सकें।