वार म्यूजियम से पर्यटकों को देशभक्ति का संदेश
जोधपुर मार्ग पर स्थित वार म्यूजियम में लहराता विशाल तिरंगा न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि उन्हें भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान की याद दिलाता है। इस क्षेत्र में सालभर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक तिरंगे के साथ अपनी तस्वीरें लेना पसंद करते हैं, जिससे यह स्थान जैसलमेर की एक नई पहचान बन गया है।
तिरंगे की बदलती परंपरा
ध्वज संहिता में हुए बदलावों ने तिरंगे को हर भारतीय के करीब ला दिया है। अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने झंडों को भी मान्यता मिल चुकी है, जिससे आम नागरिकों के लिए इसे फहराना आसान हो गया है। जैसलमेर के बाजारों में महाराष्ट्र के नांदेड़ से आए खादी के झंडों की भी विशेष मांग रहती है।
राष्ट्रीय पर्व से परे, हर दिन तिरंगे का जश्न
जैसलमेर में तिरंगे का महत्व अब केवल राष्ट्रीय पर्वों तक सीमित नहीं रहा। स्वर्णनगरी के प्रमुख स्थानों पर दिन-रात लहराते झंडे यह संदेश देते हैं कि देशभक्ति केवल एक दिन की बात नहीं, बल्कि यह हर भारतीय के जीवन का हिस्सा है।
ऐतिहासिक ध्वज का आधुनिक स्वरूप
भारतीय तिरंगे का सफर 1906 के कोलकाता से शुरू हुआ और 1947 में इसे वर्तमान स्वरूप मिला। यह ध्वज न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है, बल्कि आधुनिक भारत के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है।