निकली बंदौली, हुआ स्वागत
प्रात: 9:30 बजे गीता आश्रम से छह दूल्हों की बंदौली रवाना हुई। सभी दूल्हे घोड़ों पर सवार होकर विवाह स्थल पहुंचे। बंदौली हनुमान चौराहा और गोपा चौक होते हुए मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पहुंची, जहां समाजजन ने फूलों की वर्षा कर स्वागत किया।
गणमान्य जन बने साक्षी, नवदंपतियों को दिया आशीर्वाद
समारोह में विधायक छोटूसिंह भाटी, नारायण भारती महाराज, वरिष्ठ प्रचारक नंदलालजी, बाबाजी, सीमा जागरण मंच के नींबसिंह, सीमाजन कल्याण समिति के स्वरूपदान, सह विभाग संघचालक अमृतलाल दैया, विभाग प्रचारक जगदीश, सेवा भारती के चंपत मिस्त्री, निवर्तमान सभापति हरिवल्लभ कल्ला, पूर्व सभापति कविता खत्री, त्रिलोकचंद खत्री, मुरलीधर खत्री, मूलचंद खत्री, हरिराम खत्री सहित समाज के कई गणमान्य मौजूद रहे। मुख्य वक्ता नंदलालजी बाबाजी ने आशीर्वचन में कहा कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति के मूल संस्कारों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, जहां समाज की बेटियों को सम्मानपूर्वक विदा कर हिंदू समाज को एक सूत्र में पिरोने का संदेश दिया गया।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बंधे सात जन्मों के बंधन में
दोपहर 1:30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पंडित राजेंद्र अवस्थी के सान्निध्य में पाणिग्रहण संस्कार हुआ। पूर्ण वैदिक विधि-विधान और रीति-रिवाजों के साथ दंपत्तियों ने सात फेरे लिए। नवविवाहित जोड़ों के परिजनों ने कहा कि पहली बार इस तरह के धार्मिक और वैदिक विवाह का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। उन्होंने इस आयोजन को समाज में टूटती कडिय़ों को जोडऩे वाला प्रयास बताया।
धार्मिक-सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से गूंज उठा समारोह
सेवा भारती अध्यक्ष हीरालाल साधवानी ने बताया कि संस्था जिले में 10 बाल संस्कार केंद्र चला रही है। इन केंद्रों के बच्चों ने विवाह समारोह में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर सभी का मन मोह लिया। वरमाला के दौरान जयकारों और तालियों से पूरा पंडाल गूंज उठा।