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झालावाड़

कभी मेहमानों से गुलजार रहती थी चन्द्रावती होटल, अब हो गई वीरान

– चोर- स्मैकची चुरा ले गए सामान

झालावाड़Mar 24, 2025 / 11:31 am

harisingh gurjar

– महंगे कमरों में रूकना बना मजबूरी

झालावाड़.जिले में आरटीडीसी की ओर से बनाई गई होटल चन्द्रावती पिछले एक दशक से बंद है। केवल झालावाड़ ही नहीं, प्रदेश में करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गई ऐसी 39 इकाइयां निगम की उदासीनता एवं अरुचि के कारण धूल फांक रही है। प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने व पर्यटकों के ठहराव के लिए आरटीडीसी की ओर से संचालित चन्द्रावती होटल जैसी कई होटलें बदहाल हैं। एक जमाने में विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली होटलें अब खंडहरों में तब्दील हो रही हैं, तो कई के झालावाड़ की चन्द्रावती होटल जैसे हाल में है। निगम कभी प्रदेशभर में 70 होटल, कैफेटेरिया, यात्रिका व जनता आवास गृह का संचालन करता था, इनमें से 39 को घाटे में बताकर बंद कर दिया गया। इनमें 19 इकाइयां पिछले 15 साल में बंद की गई हैं। 10 इकाइयां तो वर्ष 2017 में तथा चार इकाइयां वर्ष 2021 में बंद की गईं। गौरतलब है कि प्रदेश में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने एवं प्राचीन व ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए आरटीडीसी काम करता है। देश का राजस्थान पहला ऐसा राज्य है, जिसने 4 मार्च 1989 को पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया था।

दिन में नशेडिय़ों का अड्डा-

झालावाड़ की चन्द्रावती होटल का संचालन पिछले 8 साल से बंद है। कमरों में जहां पर्यटक ठहरने चाहिए, वहां पक्षियों ने घोंसले बना लिए और मवेशी बैठे रहते हैं। देखरेख के अभाव में होटल भवन के दरवाजे, खिड़कियां व कमरों का फर्नीचर आदि बदहाल हो गए है। अब तो यहां स्मैकची भी डेरा डाले रहते हैं। यहां लगे एसी से तांबे के तार भी स्मैकची चुरा ले गए है। अन्य कई कीमती सामान भी चोरी हो गए है। यहां अब शराबियों का डेरा रहता है।

मजबूरी में महंगे होटलों में ठहर रहे लोग-

सूत्रों ने बताया कि पहले चन्द्रावती होटल में अच्छी व्यवस्थाएं होने से लोग यहां ठहरते थे। शहर के लोग भी अपने महमानों को होटल में रूकवाते थे, लेकिन अब महंगे प्राइवेट होटलों में रूकवाना मजबूरी बना हुआ है। चन्द्राभागा कार्तिक मेले में आने वाले पर्यटकों को मजबूरी में महंगे होटलों में रुकना पड़ता है। शहर के लोगों का कहना है कि यहां पहले शादी भी हुआ करती थी, लेकिन होटल बंद होने से वो भी अब बंद हो गई है। बजट में प्रावधान, लेकिन चालू नहीं- राज्य सरकार ने पिछले साल बजट में राजस्थान टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर एंड केपेसिटी बिल्डिंग फंड बनाया। इसके तहत राज्य के हेरिटेज पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन, इको-पर्यटन एवं साहसिक पर्यटन के विकास, प्रदेश की ब्रांडिंग तथा पर्यटकों की सुविधा के लिए 5 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की थी। लेकिन बंद होटलों को चालू करने की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पर्यटन की संभावनाएं- पर्यटन की दृष्टि से झालावाड़ में काफी संभावनाएं है, यहां आने वाले पर्यटक स्थानीय लोगों से घुल-मिल जाते हैं, ऐसे में यहां सरकारी स्तर पर उनके रुकने की व्यवस्था हो तो संख्या बढ़ सकती है। वर्तमान में आरटीडीसी की ओर से प्रदेश में 28 होटल,मिडवे का संचालन किया जा रहा है। जिनमें होटल गावड़ी तालाब झालावाड़ का संचालन किया जा रहा है। जिले में मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व, विश्व प्रसिद्ध जल दुर्ग गागरोन जैसे कई दर्शनीय स्थल है। ऐसे में पर्यटकों को सुविधा मिले तो जिले में पर्यटन उद्योग को पंख लग सकते हैं।

हाड़ौती के ये होटल बंद-

प्रदेशभर के कई होटलों के साथ ही हाड़ौती के होटल वृन्दावती बूंदी व होटल चन्द्रावती झालावाड़ को 2017 में बंद कर दिया गया था। तभी ये प्रदेशभर के करीब 19 होटल बंद पड़ी है। होटले बंद हो रही, प्रबन्धक कर रहे तैयार- जिले में चन्द्रावती होटल तो बंद कर दी गई है, लेकिन ं पर्यटन विभाग की ओर से जिले में राज्य होटल प्रबंधन संस्थान का निर्माण कर जिले में होटल प्रबंधक तैयार किए जा रहे हैं। जिसमें फं्रट ऑफिस स्टाफ, वेटर, होटल मैनेजर जैसे कई तरह के कोर्स करवाकर युवाओं को होटल उद्योग के लिए तैयार किया जा रहा है।

खंडहर होता जा रहा भवन-

करोड़ो की लागत से बनी चंद्रावती होटल जिले के खंडिया चौराहे पर प्राइम लोकेशन पर बनी हुई है। जिसे तीनों ओर सड़क है। मुख्य चौराहे पर होने से रोड के निकट होने से आसानी से कोई भी व्यक्ति यहां पहुंच सकता है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम की ओर से संचालित चंद्रावती होटल करीब 10 लाख के घाटे में चल रही थी इसलिए निगम ने इसे 5 फरवरी 2017-18 को बंद कर दिया। करोड़ो की लागत से निर्मित होटल चंद्रावती का शुभारम्भ 27 मार्च 1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने किया था। इसमें 6 कक्ष बनाए गए जिसमें 3 एयर कंडीशन व 3 सामान्य कक्ष है। प्रारम्भ में इस होटल ने निगम को अच्छा व्यवसाय भी दिया था लेकिन धीरे धीरे इसकी हालत बिगड़ती गई इस पर निगम ने इसे सन 2005-06 में ठेके पर दे दिया। इस पर ठेकेदार ने भी इसे चलाने का प्रयास किया। लेकिन मात्र दो साल बाद ही उसने भी हाथ खींच लिए। इसके बाद निगम की ओर से यहां तीन कर्मचारियों की नियुक्ति कर इसे संचालित करने का प्रयास किया गया लेकिन उचित व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं होने से इसे बंद कर दिया गया। वर्तमान में पूरा होटल भवन विरान पड़ा है। अभी यहां शराब ठेके का संचालन हो रहा है। ऐसे में परिसर में जगह-जगह शराब की बोतले फुटी हुई नजर आ रही है। परिसर में झाडियां उग गई है।
पूरे प्रदेश में 33-34 यूनिट है जो बंद पड़ी हुई है। ये प्रदेशस्तर का मामला है।हालात के बारे में हमने मुख्यालय को अवगत करा दिया है। शराब की दुकान को आरटीडीसी की है।

रशपाल गुर्जर, प्रबन्धक, आरटीडीसी, झालावाड़।

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