scriptअनुसंधान की नई तकनीक में फंसी पुलिस | अधूरे संसाधन : पुलिस अनुसंधान में बाधा बन रहा ई-साक्ष्य एप | Patrika News
झालावाड़

अनुसंधान की नई तकनीक में फंसी पुलिस

– चुनौतियां, क्या पुलिस के पास संसाधन है झालावाड़.जिले में पुलिस की अनुसंधान प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने के प्रयास असफल होते नजर आ रहे हैं। पिछले आठ महीनों से पुलिस के लिए ई-साक्ष्य एप का उपयोग अनिवार्य किया गया है,लेकिन यह एप अक्सर बंद रहता है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव […]

झालावाड़Mar 06, 2025 / 11:16 am

harisingh gurjar

– चुनौतियां, क्या पुलिस के पास संसाधन है

झालावाड़.जिले में पुलिस की अनुसंधान प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने के प्रयास असफल होते नजर आ रहे हैं। पिछले आठ महीनों से पुलिस के लिए ई-साक्ष्य एप का उपयोग अनिवार्य किया गया है,लेकिन यह एप अक्सर बंद रहता है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। गंभीर अपराधों में साक्ष्य एकत्र करना जरूरी है, लेकिन एप के न चलने के कारण यह प्रक्रिया सुचारु नहीं हो पा रही है। नए कानून लागू होने के बाद पुलिस के लिए जांच प्रक्रिया में कई बदलाव किए गए हैं। नए कानून के तहत साक्ष्य एकत्र करना और अपराध की वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी अनिवार्य हो गई है। इससे पुलिस को नए तकनीकी उपायों को अपनाने की जरूरत पड़ी, जैसे कि लैपटॉप, प्रिंटर, पेन ड्राइव और अन्य उपकरणों का उपयोग। लेकिन, इन उपकरणों की कमी और तकनीकी समझ की कमी झालावाड़ पुलिस की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है। इसके अलावा, पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण की कमी भी एक बड़ी चुनौती बन गई है।जिले में पूर्व में भी कई थानों में एफआर तक लगाने के बाद कोर्ट ने जांच अधिकारियों को फटकार लगाई है। जिले के दो थानों सहित एक मामले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को हाई कोर्ट ने तलब कर चुका है। ऐसे में नए बदलाव नए कानून की जानकारी अनुसंधान अधिकारी को होना बहुत जरूरी है।

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बेहतर पुलिसिंग के लिए ये काम करने होंगे

तकनीकी प्रशिक्षण बढ़ाना:

पुलिसकर्मियों को नई तकनीकों, जैसे डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने, वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के बारे में अधिक प्रशिक्षित करना होगा। साधनों की आपूर्ति : पुलिस को लैपटॉप, प्रिंटर, पेन ड्राइव, और अन्य आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त आपूर्ति करनी चाहिए। नेटवर्क कनेक्टिविटी में सुधार: जिले के मनोहरथाना, जावर व डग सहित क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या है, जिससे पुलिसकर्मी सही समय पर साक्ष्य अपलोड नहीं कर पाते। सरकार को इस दिशा में कदम उठाना होगा।

मानव संसाधन का विस्तार:

पुलिसकर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती प्रक्रिया तेज करनी चाहिए। अभी झालावाड़ जिले में 1200 से 1400 की ही नफरी है, जबकि यहां 2500 की नफरी होनी चाहिए।अगर नफरी बढ़ती है तो, इससे मामलों का समाधान जल्दी हो सकेगा।

तकनीकी रूप से कमजोर पुलिसकर्मी-

पुलिस के पास तकनीकी दक्ष कार्मिक नहीं हैं। गिने-चुने हैं भी तो कई जगह नफरी की इतनी कमी है कि एक समय में दो वारदात होने पर जाने के लिए दो आईओ तक नहीं मिल पाते। तकनीकी रूप से कमजोर पुलिसकर्मी खुद को बचाए फिर रहे हैं। कोई पुलिस लाइन तो कोई ऑफिस वर्क करने में खुद को फिट करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि एसपी ऋचा तोमर के नेतृत्व में पुलिस कर्मियों को गत दिनों प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।

क्या है ई-साक्ष्य एप-

ई-साक्ष्य एप एक डिजिटल प्लेटफार्म है, जिसके माध्यम से पुलिस अधिकारी गंभीर अपराधों में साक्ष्य एकत्र करते हैं, जैसे वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी। यह एप खासकर अपराध स्थल से जुड़े हर डिजिटल सबूत को रिकॉर्ड करने और सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है। इसे भारतीय दंड संहिता के तहत नए नियमों के अनुसार अपराधों की जांच में सहायता के लिए विकसित किया गया है। लेकिन इसका सही तरीके से काम न करना पुलिस की कार्यशैली में रुकावट उत्पन्न कर रहा है।

इनका कहना-

कुछ तकनीकी कारणों से पहले परेशानी आ रही थी। सभी पुलिस कर्मियों को नए कानून का प्रशिक्षण दिया गया है। अब कोई परेशानी नहीं है। ई-साक्ष्य एप में कोई भी जब्ती की घटना होती है तो उसके साक्ष्यों की फोटो व वीडियोग्राफी मौके से ही अपलोड करनी होती है।

ऋचा तोमर, पुलिस अधीक्षक,झालावाड़।

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