मजबूत हौसले, दृढ़ इच्छा शक्ति और जिंदादिली से कैंसर जैसी बीमारी को मात दी जा सकती है। जीवन जीने का सही नजरिया, सकारात्मक सोच इसमें कारगर साबित होते हैं। नगर के महात्मा गांधी कॉलोनी निवासी सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक विष्णु गोपाल भावसार के 49 वर्षीय पुत्र युवा व्यवसायी हेमंत कुमार भावसार ने कैंसर से जंग जीती और बिना किसी परेशानी के खुशहाल जीवन जी रहे हैं। हेमंत ने बताया कि करीब 7 साल पहले उन्हें पेट में दर्द हुआ।
कोटा में जांच के दौरान उनको बड़ी आंत में कैंसर बताया। इस पर नवंबर 2018 में उन्होंने कोटा एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया। कैंसर का पता चलने पर पूरा परिवार सदमे में आ गया, लेकिन उनकी पत्नी अनिता भावसार, पिता व बड़े भाई बसंत भावसार और मित्रों ने उनको हिम्मत दिलाई। उन्होंने उनसे कहा कि जब आप अपने व्यापार को दिन-रात मेहनत करके आगे बढ़ाने में लगे हुए हो तो यह बीमारी है, इसका भी डटकर मुकाबला कर सकते हैं। इसी सोच के साथ बीमारी से लड़ा।
सकारात्मक सोच व जीने की ललक जरूरी
पत्नी ने कभी अहसास नहीं होने दिया कि मैं बीमार हूं। अब पहले की तरह अपने व्यवसाय को संभाल रहा हूं। सकारात्मक सोच व जीने की ललक जरूरी है। हेमंत का कहना है कि दुश्मन हो या घातक बीमारी दोनों तरह की जंग ताकत से नहीं हौसलों से जीती जाती है। बीमारी चाहे कोई सी भी हो सकारात्मक सोच और जीवन जीने की ललक बहुत जरूरी है। चिंता की बजाय डटकर सामना करना चाहिए।
नियमित साइकिलिंग करता हूं
हेमंत बताते हैं कि उन्होंने गुजरात के गौरज स्थित कैलाश कैंसर हॉस्पिटल मुनि सेवा आश्रम में 21 दिन के अंतराल से 8 साइकिल कीमोथेरेपी कराई। इसके बाद हर 3 महीने में 2 वर्ष तक और अब हर 6 माह में वह अपना नियमित चेकअप कराते हैं। इसके साथ ही वह आयुर्वेदिक जवारे का रस, पपीते के पत्ते का रस, नीम गिलोय का उपयोग तथा नियमित योग एवं साइकिलिंग करते हैं।
दिनचर्या में किया बदलाव
हेमंत ने बताया कि वह पूरी तरह से फिट है। इस बीमारी से जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया। ऑपरेशन के बाद भी पहले जितना काम करते हैं। उन्होंने अब खाने-पीने और दिनचर्या में बदलाव जरूर किया है। जिससे अब लगता है कि कभी बीमार हुआ ही नहीं।