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झुंझुनू

फादर्स डे: मजदूर पिता ने दो बेटों को बनाया डॉक्टर, बेटी भी मेडिकल फील्ड में, संघर्ष की मिसाल बना राजस्थान का यह परिवार

झुंझुनूं जिले के चनाना गांव के राजू उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो कमजोर आर्थिक हालातों को अपनी मंज़िल की राह में रोड़ा मानते हैं।

झुंझुनूJun 15, 2025 / 04:35 pm

Kamlesh Sharma

father day

बेटों को चिकित्सक बनाने वाले पिता राजू, उनके दोनों बेटे व बेटी।  फोटो पत्रिका

झुंझुनूं। जिले के चनाना गांव के राजू उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो कमजोर आर्थिक हालातों को अपनी मंज़िल की राह में रोड़ा मानते हैं। दसवीं तक पढ़े-लिखे राजू पेशे से एक निजी अस्पताल में मजदूरी करते हैं और महीने की मात्र 15 हजार रुपए की आय में अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। इसी सीमित आय में उन्होंने अपने दो बेटों को डॉक्टर बना दिया और बेटी को भी मेडिकल फील्ड में तैयारी करा रहे हैं।

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दोनों बेटे बने डॉक्टर, बेटी कर रही बी-फार्मा

राजू का बड़ा बेटा शुभकरण बीकानेर के पीबीएम मेडिकल कॉलेज से पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) कर रहा है, जबकि छोटा बेटा मनजीत जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फाइनल ईयर का छात्र है। वहीं उनकी बेटी प्रिया खेतड़ी से बी-फार्मा की पढ़ाई कर रही है।
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चिकित्सा सेवा को चुना जीवन का लक्ष्य

राजू बताते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को डॉक्टरों की सेवा भावना से प्रेरित होकर चिकित्सा क्षेत्र में भेजने का निश्चय किया। निजी अस्पताल में मजदूरी करते हुए यहां पर कार्यरत चिकित्सक और अन्य मेडिकल लाइन के कर्मचारियों को देखकर सीमित संसाधनों के बावजूद अपने बच्चों को इस क्षेत्र में उतारने की ठान ली। राजू की पत्नी मंजू गृहिणी है और परिवार की आर्थिक हालात भी कमजोर हैं।
राजू आज भी झुंझुनूं के एक निजी अस्पताल में कार्यरत हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति आज भी बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन बच्चों की सफलता ने उनके संघर्ष को सार्थक बना दिया है। उनके छोटे बेटे ने तो जहां पर पिता कार्यरत हैं, वहीं पर रहकर तैयारी की और सफलता पाई। पिता राजू का मानना है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।

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