आज भी नहीं मिल रही सुविधाएं जिला बनने के बाद लोगों में मूलभूत पानी, बिजली, सड़क व सीवरेज जैसी सुविधाओं का विकास होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन आज भी शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के लोग जलापूर्ति को तरस रहे है। सड़कों के जगह-जगह से टूटी व क्षतिग्रस्त होने से लोग परेशान है। शहर के मुख्य बाजारों सहित अन्य सड़कें संकरी होने के कारण लोगों को जाम में फंसे रहने से परेशान होना पड़ता है। संकरी सड़कों पर बने ओवरब्रिज से नीचे वाहन पार्किंग की जगह तक नहीं है। इसी तरह नए बस स्टैंड स्थित गंदे नाले की सुध नहीं लेने से इसमें कचरा और गंदगी अटी पड़ी है। खुले नाले में पशु गिरते है और इन्हें बाहर निकालने के लिए लोगों को मशक्कत करनी पड़ती है। शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से बारिश के दिनों में भगतसिंह सर्किल, नेहरू कॉलोनी, शास्त्री सर्किल क्षेत्र व जिला अस्पताल सहित मुख्य सड़कें तालाब बन जाती है। शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग भी बरसों से चल रही है। ऐसे में जिला बनने के बाद धरातल पर विकास कार्य नहीं होने से अब लोगों की उम्मीद भी टूटने लगी है।
घोषणाओं का हो क्रियान्वयन पूर्व राज्य सरकार ने 35 करोड़ रुपए न्यू बस स्टैंड स्थित गंदे नाले का सौंदर्यीकरण, बीपीएल क्वार्टर व चौपाटी निर्माण के लिए बजट में स्वीकृत किए। 2 करोड़ रुपए छतरियों का मोर्चा से बालोतरा मेगा हाइवे तक 5 किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य के स्वीकृत किए। लेकिन डेढ़ साल बाद भी नए बस स्टैंड स्थित गंदे नाले का सौंदर्यीकरण नहीं हुआ। इसी तरह 5 किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य भी अटका है। जबकि शहर के विकास कार्यों के लिए नगर परिषद ने भी दो साल पहले 124.85 करोड रुपये का बजट पेश किया। वहीं वर्तमान में राज्य सरकार ने बजट 2025-26 में बालोतरा एवं सिवाना में बफर स्टोरेज के लिए 19.70 करोड़ रुपए का प्रावधान किया। बालोतरा में रिंग रोड के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के लिए 50 करोड़ रुपये प्रस्तावित करने के साथ मेगा हाईवे बाईपास से डांडियावास एवं भांडियावास से बालोतरा तक 11.5 किलोमीटर की रिंग रोड का निर्माण 3 करोड़ रुपए की लागत से करने का प्रावधान किया। इसी तरह सरकार ने बालोतरा में नगर विकास न्यास (यूआईटी), मिनी सचिवालय, पॉलिटैक्निक कॉलेज व खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट बनाने और जिले के जसोल व समदड़ी में नगर पालिका सहित कई अन्य घोषणा कर रखी है।