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कटनी

इस जिले में नसबंदी के बाद भी इन महिलाओं के पैदा हो गए बच्चे, सामने आई बड़ी लापरवाही

Children born even after sterilization

कटनीFeb 16, 2025 / 09:08 pm

balmeek pandey

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वित्तीय वर्ष में करीब 13 ऑपरेशन हुए फेल, पिछले सात वर्षों में फेल हो चुके है 62 ऑपरेशन

कटनी. बहोरीबंद निवासी महिला ने दो बच्चों के जन्म के बाद परिवार की सहमति से बहोरीबंद अस्पताल में परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत नसंबदी ऑपरेशन कराया। छोटे और सुखी परिवार की सपना उस वक्त टूट गया जब ऑपरेशन के 11 वर्ष बाद महिला ने बच्चे को जन्म दिया और किलकारी गूंजी। ऑपरेशन के दौरान हुई लापरवाही व मनमानी के चलते परिजनों को न चाहते हुए भी बच्चे का पालन पोषण करना पड़ रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि महिला ने सिविल अस्पताल बहोरीबंद में जब इसकी शिकायत की थी तो उसकी बात नहीं सुनी गई। मजबूरीवश महिला को मुआवजा के लिए सीएम हेल्पलाइन 181 का सहारा लेना पड़ा। बहोरीबंद निवासी इस महिला की तरह बरही निवासी परिवार को भी समस्या का सामना करना पड़ा। नवंबर 2018 में महिला ने नसंबदी ऑपरेशन कराया था लेकिन अब जाकर नसंबदी फेल हो गई। महिला ने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पर सवाल खड़े किए और 181 में शिकायत पर कार्रवाई की मांग की। यही हाल विजयराघवगढ़ निवासी महिला के साथ हुआ। महिला ने अप्रैल 2024 में सिविल अस्पताल विजयराघवगढ़ में नसंबदी ऑपरेशन कराया लेकिन वह फेल हो गया। मुआवजे के लिए आवेदन किया तो उसे मुआवजा नहीं मिला। मजबूर होकर महिला ने शिकायत दर्ज कराई। वित्तीय वर्ष 2024-2025 में ऐसे करीब 13 प्रकरण है, जिसमें ऑपरेशन फेल हुए हैं। बीते सात वर्षों में यह आकड़ा करीब 62 दर्ज किया गया है।
वर्ष 2021-22 में आए अधिक मामले
जिले में वर्ष 2018 से लेकर अभी तक सबसे अधिक नसबंदी आपरेशन फेल होने के मामले वर्ष 2021-22 में सामने आए थे। इस साल 65 सौ से अधिक लोगों ने परिवार नियोजन अपनाया था जिसमें 12 मामले ऐसे थे, जिसमें आपरेशन के बाद भी महिला गर्भवती हो गई। वर्ष 2018-19 में नौ मामले सामने आए थे तो वर्ष 2019-20 में आठ मामले सामने आए। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में सात लोगों ने आपरेशन सफल न होने के चलते अनुग्रह राशि के लिए आवेदन दिया था। वर्ष 2022-23 में छह और वर्ष 2023-24 में सात मामले सामने आए थे तो इस साल अभी तक करीब 13 आवेदन कमेटी के सामने पहुंच चुके हैं। सात वर्ष में कुल 62 आवेदन आपरेशन के बाद भी गर्भ होने पर स्वास्थ्य विभाग में पहुंचे हैं।
ऐसे मिलता है क्लेम
नसबंदी का ऑपरेशन होने के बाद यदि पेट में गर्भ धारण हो जाए तो उसे 90 दिन में क्लेम करना आवश्यक है। इससे पहले उसे सोनोग्राफी भी करानी होती है। आवेदक ने अल्ट्रासाउंड नहीं कराया है तो ऐसी स्थिति में विभाग अल्ट्रासाउंड कराएगा। महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस अस्पताल में उसने नसबंदी कराई है, वहीं उसे क्लेम का आवेदन करना होगा। साक्ष्य के तौर पर रिपोर्ट जमा करनी होती है।
नसबंदी वाली महिलाएं भी मुआवजे से वंचित
नसंबदी कराने के बाद स्वास्थ्य विभाग से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि से भी दो दर्र्जन से अधिक महिलाएं वंचित हैं। सीएम हेल्पलाइन में ऐसी करीब 25 शिकायतें पेडिंग है, जिसमें विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। हालांकि अफसरों का कहना है कि विभाग से बजट जारी न होने के कारण यह स्थिति बनी है।

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ये भी मामले आए सामने
केस नंबर-1

कन्हवारा निवासी महिला ने कन्हवारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से परिवार नियोजन अपनाने के लिए नसबंदी ऑपरेशन 2020 में करवाया था, जिसके बाद वे बच्चों के लालन-पालन में लग गए। इसके बाद वह पुन: 6 महीने की गर्भवती हो गई हैं। नसबंदी ऑपरेशन फेल होने के बाद दंपत्ति परेशान हैं। पति-पत्नी शिकायत करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है।
केस नंबर-दो
ढीमरखेड़ा निवासी एक परिवार की महिला का वर्ष 2018 में शिविर के दौरान नसबंदी आपरेशन कराया गया था। आपरेशन हो जाने के तीन माह बाद महिला को गर्भ ठहरने की आशंका हुई। जिसमें उसने जांच कराई और सोनोग्राफी में गर्भ ठहरने की पुष्टि हुई। जिसके बाद उसने विभाग को जानकारी दी और नियमानुसार जांच कराने के बाद विभाग ने उसे अनुग्रह राशि प्रदान की।
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केस नंबर- तीन
बरही क्षेत्र के एक परिवार ने पिछले साल महिला का शिविर में परिवार नियोजन का आपरेशन कराया था। कुछ दिन बाद महिला को गर्भ ठहरने की जानकारी लगी। जिसमें उसने जांच कराई तब आपरेशन के फेल होने की जानकारी लगी। आवेदन प्रस्तुत करने पर जांच कराई गई। विभाग ने निर्धारित राशि स्वीकृत कर दी लेकिन अब परिवार एक लाख रूपये की मांग कर रहा है।
एक्सपर्ट व्यू- ऑपरेशन फेल होने का यह भी कारण
परिवार नियोजन कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डा. डीजे मोहंती ने कहा कि कई बार आपरेशन के दौरान ट्यूब को बंद करने लगाई गई रिंग निकल जाती है और उसके चलते ऐसे मामले सामने आते हैं। दूसरी ओर महिलाओं के आपरेशन से पूर्व उनकी जांच होती है और उसमें वे मासिक धर्म का समय सही नहीं बताती हैं, जिसके चलते भी जांच में चूक होने की आशंका रहती है। यदि विभागीय गलती से गर्भ ठहरता है तो उसमें 30 हजार रुपए की राशि कमेटी से स्वीकृति के बाद संबंधित हितग्राही को प्रदान की जाती है। इस वर्ष शेष प्रकरणों में भी जल्द भुगतान हो जाएगा।
इनका कहना
परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत नसबंदी के प्रकरण फेल होने पर संबंधित शिकायतों का समाधान कर दिया गया है। खाता नंबर सहित अन्य जरूरी जानकारी न होने से विलंब होता है। महिला नसंबदी प्रकरणों में बजट न होने के कारण भुगतान में विलंब हुआ है।
डॉ. आरके आठ्या, सीएमएचओ

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