कटनी. नगर निगम के अफसरों, ठेकेदारों का गठजोड़ जिम्मेदारों की मौन सहमति से अजग-गजब कारनामे कर रहा है। समय पर निर्माण कार्य न होना, निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से खिलवाड़, भ्रष्टाचार आम हो चला है। इन सबके बीच नियमों को धता बताते हुए निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। एक गंभीर मामला सामने आया है। कटोयघाट मार्ग पर दुगाड़ी नाला पुल ठेकेदार की मनमानी की भेंट चढ़ गया है। यहां पर पुल के दोनों ओर सडक़ निर्माण का आधा काम हो गया है। हैरानी की बात तो यह है कि अभी इस काम का टेंडर क्रमांक 3801 यह 30 अप्रेल को खुलना है, लेकिन मौके पर 50 फीसदी काम हो जाना गंभीर मनमानी को उजागर कर रहा है। जानकारी के अनुसार 2022 से यहां पर सवा 3 करोड़ रुपए की लागत से नगर निगम द्वारा पुल का निर्माण कराया जा रहा है। यह ठेका निरंजन पंजवानी को दिया गया है, जिनके द्वारा यह काम पेटी पर दे दिया गया है। शुरुआती दौर में ही शहर की पाइल लाइन को तोड़ दिया गया था, जिससे पेयजल के लिए शहर में कई दिनों तक हाहाकार की स्थिति बन गई थी, इसके बाद भी ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह पुल एक साल पहले बनकर चालू हो जाना था, लेकिन अबतक नहीं चालू हुआ। समय पर काम न करने वाले ठेकेदार पर नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की। सांठगांठ से मनमानी चलती रही।
नगर निगम द्वारा 27 मार्च को टेंडर पत्र क्रमांक 3801 जारी किया गया है। कटायेघाट मार्ग पर निर्माणाधीन ब्रिज के दोनों ओर पहुंच मार्ग का काम 60 दिन में पूरा करने के लिए 54 लाख 86 हजार 557 रुपए का टेंडर जारी हुआ है। निविदा का अंतिम तिथि 28 अप्रेल है। इसकी ओपन होने की डेट 30 अप्रेल है। हैरान कर देने वाला मामला यह है कि अभी टेंडर हुआ नहीं और मौक पर दोनों ओर 50-50 फीसदी सडक़ का काम पेटी पर काम करने वाले ठेकेदार ने बना दी है। सूत्रों की मानें तो यह पूरा खेल नगर निगम अफसरों व जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की सह पर हो रहा है! गंभीर मनमानी चलने के बाद भी कोई कार्रवाई संबंधितों पर न करना अपने आप में बड़ा सवाल है।
कलेक्टर कार्यालय के सामने नगर निगम द्वारा बनवाए गए शॉपिंग कॉप्लेक्स में भी गंभीर मनमानी सामने आई है। यहां पर राजेश जैन नामक ठेकेदार द्वारा नगर निगम के अधिकारियों से सांठगांठ कर मनमाने तरीके से टेंडर प्रक्रिया अपनाकर काम किया जा रहा है। यहां पर काम्पलेक्स के पीछे की तरफ पेवरब्लॉक, बाउंड्रीवॉल, कोटा स्टोन, ग्रेनाइट आदि का काम होना है। इस काम में खुशबू एजेंसी द्वारा 17.86 लाख रुपए जीएसटी सहित लगभग 20 लाख 32 हजार रुपए का टेंडर डाला जाना बताया जा रहा है। वहीं इस टेंडर में राजेश जैन ने 10 लाख 11 हजार रुपए का टेंडर डाला है। जो कि तय एसओआर से बहुत कम। शेष अन्य ठेकेदार जो इस निविदा प्रक्रिया में भाग ले रहे थे, उन पर नगर निगम के एक इंजीनियर ने दबाव बनाकर प्रक्रिया में भाग नहीं लेने दिया गया। पत्र लेकर निविदा वापस करा ली। निविदा खुलने के पहले मौके पर कुछ काम करा लिया गया। अभी निविदा खुलना शेष है।
यहां भी हुई है मनमानी
झिंझरी में भी एक सडक़ के किनारे गंभीर मनमानी की गई है। नगर निगम द्वारा यहां पर फरवरी माह में पेवरब्लॉक, फ्लोरिंग आदि का काम करा दिया गया है। काम कराए जाने के बाद लगभग 17 लाख रुपए की टेंडर की प्रक्रिया वर्तमान में अपनाई गई है। नगर निगम के चहेती ठेका कंपनी के माध्यम से काम कराया जाना बताया जा रहा है। अन्य ठेकेदारों से यह लिखवाकर ले लिया गया कि हमारे पास पर्याप्त संसाधान नहीं है, हम काम नहीं कर सकते और उनको निविदा प्रक्रिया से बाहर करा लिया।
यह है टेंडर का नियम
जानकारी के अनुसार यदि नगर निगम कोई काम करती है तो इंजीनियर द्वारा प्रस्ताव तैयार कराया जाता है। निर्माण लागत तय की जाती है। एमआइसी को संबंधित कार्य की फाइल स्वीकृति के लिए भेजी जाती है। यहां से अनुमति के बाद आयुक्त व एकाउंट से बजट स्वीकृत होता है। इसके बाद इइ के द्वारा निविदा प्रस्तावित की जाती है। इसके बाद टेंडर प्रक्रिया कराते हुए तैयार किए प्राक्कलन के अनुसार सबसे कम दर वाले निविदाकार की निविदा स्वीकृत करने के वर्क ऑर्डर (एलओए) जारी किया जाता है। इसके बाद एग्रीमेंट कर समय-सीमा में काम करना होता है। इससे पारदॢशता के साथ कम दरों में काम होता है, लेकिन यहां पर यह प्रक्रिया कई कामों में नहीं अपनाई जा रही।
इस संबंध में नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों का अजब तर्क है। उनका कहना है कि शहरहित में जल्दी काम कराने के लिए ऐसा किया गया है। लोगों को आवागमन में समस्या न इसलिए इस तरह के निर्णय लिए जाते हैं। कई बार इमरजेंसी होने पर कुछ काम नियम से हटकर करने पड़ते हैं।
अयुक्त ने कही यह बात
नीलेश दुबे, आयुक्त नगर निगम ने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है। इंजीनियरों के बताए अनुसार कटायेघाट मार्ग पर बने पुल के स्पॉन का साइज बढ़ गया था, उसके लिए सडक़ को लेवल करने के लिए टेंडर अलग से हुआ है। बगैर टेंडर हुए काम कैसे शुरू हो गया है इसके लिए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाएगा व जांच कराते हुए वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। अन्य निर्माण कार्यों के संबंध में भी जांच कराएंगे।
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