कटनी. शनिवार को जिला न्यायालय सहित अन्य न्यायालयों में आयोजित नेशनल लोक अदालत में न्यायपालिका एवं विभिन्न विभागों के समन्वय से आपसी समझौतों के आधार पर हजारों प्रकरणों का निराकरण किया गया। मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में यह आयोजन जिला एवं तहसील न्यायालयों (विजयराघवगढ़, बरही, ढीमरखेड़ा) सहित अन्य विभागों में संपन्न हुआ। शुभारंभ मां सरस्वती के पूूजन एवं महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस दौरान जिले के समस्त न्यायाधीश, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अमित शुक्ला, अधिवक्ता, अभियोजन अधिकारी, लीगल एड डिफेंस काउंसिल, न्यायालयीन कर्मचारी, विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। नगर निगम में भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जहां पर लोगों ने टैक्स में छूट प्राप्त करते हुए राशि जमा की।
लोक अदालत में 30 खंडपीठों का गठन किया गया था। इनमें 4631 प्रीलिटिगेशन प्रकरण और 1082 न्यायालय में लंबित प्रकरणों को रैफर किया गया। प्रीलिटिगेशन प्रकरण में 2915 मामलों का समाधान आपसी सहमति से हुआ, जिससे 2637 व्यक्तियों को लाभ मिला और 88 लाख रुपये से अधिक की राशि जमा की गई। लंबित प्रकरण में 485 मामलों का निपटारा हुआ, जिससे 870 लोग लाभान्वित हुए।
जिला विधिक सहायता अधिकारी हर्षित बिसेन ने बताया कि राजीनामा करने वाले पक्षकारों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से प्रतीक स्वरूप फलदार एवं छायादार पौधे भेंट किए गए। नेशनल लोक अदालत ने न केवल न्याय प्रक्रिया को सरल बनाया, बल्कि आपसी समझौते से समय और संसाधनों की बचत करते हुए सैकड़ों परिवारों को राहत दी।
रिश्तों की बताई अहमियत तो टूटने से बचे कई परिवार
जिला न्यायालय में आयोजित लोक अदालत के दौरान कुटुम्ब न्यायालय में कई परिवारों को टूटने से बचाया गया। न्यायाधीश भू-भास्कर यादव व काउंसलरों की पहल से अलग रह रहे दंपत्तियों की काउंसलिंग कर संग रहने राजी किया गया। कई दंपत्ति ऐसे थे जो तलाक के लिए आवेदन किए हुए थे। सुलह के बाद जयमाला कराते हुए घर विदा किया गया। इस दौरान 54 प्रकरण तलाक के व 150 केस भरण-पोषण के लगे हुए थे। कई मामलों में सुलह कराई गई। सुषमा थापा माधवनगर पति योगेश थापा संजय नगर की विवाह 3 मई 19 को हुआ था। 11 नवंबर 24 से अलग रह रहे थे। पति द्वारा ताने मारने के कारण तलाक की नौबत आ गई थी। समझाइश के बाद दोनों संग रहने राजी हुए। इसी प्रकार सीता रजक गुलवारा व धर्मेद्र रजक हरदुआ का विवाह 12 मई 19 में हुई था। 17 जनवरी 24 से अनबन के कारण पत्नी ने भरण-पोषण का केस लगाया था। समझाइश दी गई तो संग रहने राजी हुए। इसी प्रकार शानू अहिरवार राम निवास सिंह वार्ड व सविता अहिरवार झुकेही का विवाह हुआ था। कई साल से अलग रह रहे थे। पुनस्र्थापन के लिए केस लगाया गया। न्यायाधीश ने कहा कि सभी को रिश्तों की अहमियत समझाई गई। साथ बिताए अच्छे पलों को याद कराया गया तो वे संग रहने राजी हुए। अधिकांश मामलों में यह बात सामने आई कि सास-ससुर की बेवजह की दखंलदाजी व बहुओं द्वारा सास-ससुर की सेवा न करने से रिश्ते टूट रहे हैं।
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