एमएसडब्ल्यू को अवैध लाभ देने का आरोप
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि एमएसडब्ल्यू को अनुबंध और बजट प्रावधान के बिना ही कचरा परिवहन वाहन उपलब्ध कराए गए। नियमों के अनुसार हर छह वर्ष में नए कचरा वाहन खरीदे जाने थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके बजाय, नगर निगम ने अपने बजट से वाहन खरीदकर एमएसडब्ल्यू के ठेकेदार को दे दिए, जो नियमों का उल्लंघन है।
मिथलेश जैन ने आरोप लगाया कि नगर निगम परिषद की कोई स्वीकृति लिए बिना ही ये सभी खरीदारी की गई। इसके बावजूद, वरिष्ठ संपरीक्षक, स्थानीय निधि संपरीक्षा कटनी ने इन खरीदों के भुगतान के बिलों को मंजूरी दे दी, जो नियमों के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नगर निगम की वित्तीय स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है, क्योंकि करोड़ों रुपए की एफडीआर तोडकऱ इन अवैध खरीदों के भुगतान किए गए हैं। इसके बावजूद, महापौर और मेयर इन कौंसिल ने कोई जांच नहीं कराई और न ही कोई कार्रवाई की।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
वरिष्ठ पार्षद मिथलेश जैन ने पत्र में मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाएने और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग रखी है। नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से की गई यह अवैध खरीदी शहर के विकास कार्यों को प्रभावित कर सकती है। नगर निगम प्रशासन की इस संदिग्ध कार्यप्रणाली को लेकर नगर के नागरिकों में भी आक्रोश बढ़ रहा है।