ट्रैक्टर के सामने हिस्से में चढ़कर, कार में लटक कर काफी तेज गति से वाहन दौड़ाया जा रहा था। मिली जानकारी के मुताबिक सभी बच्चे नगर पंचायत पांडातराई के है, जो नगर में संचालित निजी स्कूल के कक्षा 12 वीं के छात्र हैं, जो विदाई समारोह के बाद जश्न के रूप में अपनी जान जोखिम में डालते हुए स्टंट करते नजर आए। जो किसी प्रशिक्षित कमांडों की तरह कार व ट्रैक्टर से लटक रहे हैं। ट्रैक्टर में बैठे हैं, और उसके सामने लोहे के डोजर पर खड़े हैं।
कृषि कार्य करने के लिए उपयोग में आने वाले ट्रैक्टर को स्कूली बच्चे
स्टंट का सामान बनाए हुए हैं। स्कूल परिसर में खतरनाक तरीके से ट्रैक्टर को चारों तरफ घुमाते वीडियो ने सभी को हैरान कर दिया है। बाइक में सवार होकर घुमने वाली की तो गिनती तक नहीं है। शिशु मंदिर के बच्चे अपने शिक्षा व संस्कार के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस स्कूल के बच्चों की हरकत व शिक्षकों का इन्हें बढ़ावा देने जैसी घटना ने स्कूल की साख में बट्टा लगाने का काम किया है। इन बच्चों को ऐसे स्टंट करते देख उनके माता-पिता भी हैरान होंगे। मुख्य बात तो यही है कि यदि इस दौरान कोई दुर्घटना होती तो किसकी जिम्मेदारी होती।
मूकदर्शक बने बैठे जिम्मेदार
मामले में पुलिस विभाग भी मूकदर्शक बना रहा। शहर के गलियों में वाहन दौड़ता रहा, जिन्हें किसी ने नहीं रोका। साथ ही स्कूल प्रबंधन व शिक्षक शिक्षिकाओं की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं। बच्चों को ये कार, ट्रैक्टर मिले कहां से, किसने उपलब्ध कराया। क्या ये केवल केवल कुछ मिनटो में ही हो गया। अचानक इतना बड़ा आयोजन नहीं हो सकता। बच्चों ने पहले सी ही तैयारी कर रखी होगी। तभी तो कार्यक्रम के दौरान उन्हें कार मिल गई। ट्रैक्टर मिल गया। बड़ी संख्या में बाइक, स्कूटी में सवार नजर आ आए।
कार्रर्वाई आखिर क्यों नहीं
अब देखने वाली बात होगी कि शिक्षा विभाग और पुलिस विभाग इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कोई कार्रवाई करता है या फिर स्कूली बच्चे हैं करके छोड़ दिया जाता है। क्योंकि इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो अन्य स्कूल में भी हौंसले बढेंगे। क्योंकि कुछ दिन पहले भी कवर्धा शहर के एक निजी स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा भी 12वीं के विदाई समारोह के बाद भोरमदेव-सरोदा रोड में खतरनाक स्टंट करते नजर आए थे। यहां पर बच्चे कार में लटके हुए थे। कोई कार पर बैठा है तो कोई सनरूफ वाले कार में खड़े थे। खासकर लड़कियां भी स्टंट करती नजर आई। इसमें भी कोई सख्ती नहीं हो सकी।