वर्तमान में खरीदी केंद्रों पर पांच लाख 84 हजार 396 क्विंटल धान पड़ा हुआ है। कुछ जगहों पर इसे शेड के नीचे रखा गया है तो कुछ जगहों पर धान की बोरियां खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई है। बेमौसम हुई बारिश ने इन बोरियों को भीगा दिया है। इससे समितियों की चिंता बढ़ गई है। समितियों को आर्थिक नुकसान की चिंता सता रही है।
Dhan Khardi: समितियों की परेशानी बढ़ी
Dhan Khardi: हालांकि धान खरीदी से जुडे़ अधिकारियों का कहना है कि बैमौसम बारिश का कितना असर केंद्रों पर हुआ है। इसकी रिपोर्ट नहीं मिली है। रविवार को इसकी जानकारी केंद्राें से मिलेगी। हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि बारिश से ज्यादा नुकसान की संभावना नहीं है। इसके पीछे अफसरों का तर्क है कि
धान खरीदने वाली समितियों को पहले ही तिरपाल क्रय करने के लिए कहा गया था और अधिकांश समितियों ने यह कार्य पूरा कर लिया है। मौसम को देखते हुए व्यवस्था दुरूस्थ किया गया था।
जिला प्रशासन की ओर से धान के उठाव का दावा किया जा रहा है। लेकिन
खरीदी केंद्रों में धान की बोरियां कम नहीं हो रही है। विकासखंड करतला अंतर्गत ग्राम कोथारी, में 23 हजार 62 क्विंटल धान खरीदा गया है। जबकि उठाव 3970 क्विंटल का हुआ है। फरसवानी की स्थिति भी ठीक नहीं है। 15 हजार 177 क्विंटल की खरीदी में से 5030 क्विंटल का उठाव हुआ है। सोहागपुर में 19 हजार 171 क्विंटल धान खरीदा गया है। जबकि उठाव 6200 क्विंटल का हुआ है।
फरसवानी, बरपाली और सोहागपुर क्षेत्र से कम हो रहा उठाव
जिले में धान की
खरीदी के लिए चालू वित्तीय वर्ष में प्रशासन की ओर से 65 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों में धान के संग्रहण की क्षमता भी निर्धारित की गई है। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि सभी केंद्रों में औसत 7200 क्विंटल धान रखने की क्षमता है। इसे बफर स्टॉक कहा जाता है। लेकिन सोसाइटियों का कहना है कि प्रशासन ने उनके लिए जितना बफर लिमिट तय किया है।
उससे ज्यादा धान उपार्जन केंद्रों में पड़ा हुआ है और इन धान को बारिश से बचाने के लिए उनके पास पर्याप्त मात्रा में साधन-संसाधन नहीं है। कई खरीदी केंद्र तो ऐसे हैं, जहां 10 हजार से 20 हजार क्विंटल तक धान पड़ा है और इन केंद्रों से धान का उठाव भी उतनी रफ्तार से नहीं हो रहा है। जितनी रफ्तार से धान की खरीदी हो रही है। इससे समितियां परेशान हैं। समितियों का कहना है कि अगर मिलर्स समय पर धान उठाते तो उन्हें परेशानी नहीं होती।