Holashtak 2025: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्तिमा तिथि को होली पर्व धूमधाम से मनाने को लेकर लोगाें में खास उत्साह है। इस बार होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। होली के आठ दिन पहले आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाती है। इस अवधि में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है।
इसकी वजह से गुरूवार से वैवाहिक संबंधी कार्यक्रम पर विराम लग जाएगा। ऐसे में अब विवाह संबंधी युवक-युवतियों की शादी की तैयारी के लिए परिजन अब अगले शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं। इसके लिए रिसार्ड, क्लब से लेकर होटल की बुकिंग शुरू कर दी है। ज्योतिषाचार्य दशरथी नंदन ने बताया कि होलाष्टक अवधि में ग्रहों का स्वभाव उग्र हो जाती है। इस अवधि में दुष्प्रभाव का खतरा बढ़ जाता है। होलाष्टक की शुरूआत गुरुवार सुबह 10.11 बजे से प्रारंभ हो रही है। इसका समापन 14 मार्च को होगा।
Holashtak 2025: बैंड, बाजा और बरात पर लग जाएगा विराम,
14 मार्च को सूर्यदेव बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश कर रही है। इसकी वजह से खरमास प्रारंभ हो जाएगा। इसका प्रभाव 13 अप्रैल तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि खरमास में सूर्यदेव अपने रथ में लगे सात घोड़ों को विश्राम के लिए छोड़ देते हैं और खर यानी गधों को अपने रथ से बांध देते हैं। खरों की धीमी गति के कारण सूर्यदेव का रथ भी धीमी गति से चलने लगता है। इसलिए खरमास में शुभ कार्य की मनाही होती है।
होली को लेकर कारोबारियों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। दुकानों में रंग-बिरंगी पिचकारी, रंग-गुलाल से लेकर मुखौटे भी दुकानों पहुंचने लगे हैं। बुधवारी बाजार सहित अन्य बाजारों में होली का बाजार सजने लगा है। इस बार लोगों में पर्व को लेकर खासा उत्साह है। ऐसे में व्यापारियों को बेहतर कारोबार की उमीद है।
इस अवधि में नहीं होंगे वैवाहिक और मांगलिक सहित अन्य शुभ कार्य
होलाष्टक के आठ दिन और खरमास की वजह से एक माह की अवधि का असर
ये है मान्यता
मान्यता है कि राजा हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे। इसके लिए हिरण्यकश्यप ने आठ दिनों तक प्रहलाद को कठिन यातनाएं दी। आठवें दिन राजा हिरण्यकश्यप की बहन हालिका के गोद में प्रहलाद को बैठाकर जलाने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। प्रहलाद को दी गई यातनाएं अवधि के दौरान होलाष्टक माना जाता है।
होलाष्टक छह मार्च से प्रारंभ हो रही है। इस अवधि में वैवाहिक और मांगलिक कार्य वर्जित रहेगा, जो होलिका दहन की तिथि तक रहेगी। इसके बाद 14 मार्च से खरमास का प्रारंभ हो रहा है। इसकी वजह से एक माह के लिए कोई भी शुभ एवं मांगलिक कार्य की मनाही होती है। इस तरह गुरूवार से बैंड, बाजा और बारात पर भी विराम लग जाएंगे।
होलाष्टक की अवधि में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश सहित अन्य कार्य नहीं किए जाने चाहिए। इस अवधि में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इस अवधि में भगवान विष्णु की आराधना करें। हवन आदि का आयोजन भी शुभ माना जाता है। होलाष्टक के दौरान दान का विशेष महत्व है। इस दौरान ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को अन्न, धन या वस्त्र का दान करने से लाभदायक होता है।
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