वन्यजीव प्रेमियों को मिलेगी बड़ी खुशखबरी, राजस्थान के इन जंगलों में MP और महाराष्ट्र से आएंगी 5 ‘रानियां’
Interstate Corridor: पांच बाघिन लाई जाएगी। इनमें दो को मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व व 3 को रामगढ़ विषधारी में छोड़ा जाएगा। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में अभी बाघ-बाघिन के एक जोड़े के अलावा दो सब एड़ल्ट बाघिन हैं।
Good News: इंटरस्टेट बाघ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का सपना जल्द साकार होने की संभावना है। प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में पहली बार मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ लाने की तैयारियां अंतिम चरण में चल रही हैं। मध्यप्रदेश के कान्हा व महाराष्ट्र सीमा से सटे पेंच नेशनल पार्क से बाघ लाए जाएंगे। बाघों को लाने के लिए सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से इजाजत मिल चुकी है। इसी माह जुलाई में वन्यजीव प्रेमियों को यह खुश खबर मिल सकती है। यह पहला अवसर होगा जब दूसरे प्रदेश से बाघ राजस्थान में लाए जाएंगे जिन्हें रामगढ़ विषधारी व मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने देश में बाघों की नस्ल सुधार करने तथा संक्रमण की आशंकाओं की रोकथाम के लिए एक-दूसरे राज्यों के टाइगर रिजर्व में बाघों को छोड़ने का निर्णय किया था। इसके लिए इंटरस्टेट बाघ कॉरिडोर बनाने की योजना के तहत यह नई पहल शुरू की जा रही है।
रामगढ़ को 3, मुकुन्दरा को 2
अनुमति के अनुसार पांच बाघिन लाई जाएगी। इनमें दो को मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व व 3 को रामगढ़ विषधारी में छोड़ा जाएगा। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में अभी बाघ-बाघिन के एक जोड़े के अलावा दो सब एड़ल्ट बाघिन हैं। विशेषज्ञों के अनुसार टाइगर रिजर्व में कम से कम एक बाघ-दो बाघिन का रेशो आदर्श माना जाता है।
रणथंभौर से भी आ सकता है
सूत्रों के अनुसार इन बाघिनों की शिफ्टिंग के साथ रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बाघ को लाने की योजना भी है। विभागीय सूत्रों के अनुसार बाघ की शिफ्टिंग भी जल्द हो सकती है। इसके बाद दो बाघ व पांच बाघिन हो जाएंगी।
मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र से राजस्थान में बाघों की शिफ्टिंग के लिए प्रयासरत हैं। प्रक्रिया व अन्य बिंदुओं को ध्यान रखते हुए बाघों को लाएंगे। आवश्यकता के अनुसार बाघिनों को लाने की योजना है। सुगना राम जाट, मुख्य वन संरक्षक व फील्ड डारेक्टर, मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व
लंबे समय से चर्चा
इंटर स्टेट कॉरिडोर को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। प्रदेश में सरकार बनने के बाद वन मंत्री संजय शर्मा कोटा आए थे, उन्होंने भी इस बात को दोहराया था। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से पहले उत्तराखंड से भी बाघों के आदान-प्रदान पर चर्चा हुई है। दोनों राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकों के मध्य पूर्व में भी मिटिंग हुई थी, लेकिन बाद में एनटीसीए ने प्रे-बेस को बढ़ाने की शर्त पर बाघों को शिफ़्ट करने की अनुमति दी थी।
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