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Google की नई मुश्किलें, क्या बेचना पड़ेगा Chrome ब्राउजर?

Google पर बढ़ता दबाव: अमेरिकी न्याय विभाग ने Google को Chrome ब्राउजर बेचने की सलाह दी है, ताकि सर्च इंजन के बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सके और सभी को सामान अवसर मिल सकें। पढ़ें पूरी खबर!

भारतMar 09, 2025 / 05:03 pm

Rahul Yadav

chrome browser
Google एक बार फिर कानूनी दबाव में है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने कंपनी पर अपना Chrome ब्राउजर बेचने का दबाव बढ़ा दिया है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा, पहले भी नवंबर 2024 में इसी तरह का प्रस्ताव सामने आया था। DOJ का मानना है कि Google का ऑनलाइन सर्च पर बहुत ज्यादा नियंत्रण है, जिससे अन्य कंपनियों को प्रतिस्पर्धा करने का मौका नहीं मिल रहा। सभी को समान अवसर देने के लिए Google को Chrome ब्राउजर से अलग करने का सुझाव दिया गया है। चलिए जानते हैं विस्तार से पूरे मामले के बारे में।

Google से हट सकता है सर्च इंजन का कंट्रोल?

Android Authority की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने एक बार फिर Google को Chrome ब्राउजर बेचने की सलाह दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, Chrome ब्राउजर दुनिया भर में करोड़ों यूजर्स के लिए प्राथमिक सर्च प्लेटफॉर्म है। न्याय विभाग का मानना है कि अगर Google अपना Chrome ब्राउजर बेच देता है, तो उसका ऑनलाइन सर्च पर कंट्रोल काफी हद तक कम हो जाएगा। इससे अन्य सर्च इंजन कंपनियों को भी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का सही मौका मिलेगा।

Apple और Mozilla में नहीं दिखेगा डिफॉल्ट Chrome ब्राउजर?

DOJ चाहता है कि Google को Apple, Mozilla और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर Chrome ब्राउजर को डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में सेट करने से रोका जाए। Google हर साल Apple को भारी भरकम रकम देता है ताकि iPhone और iPad में Google Search डिफॉल्ट रूप से प्री-इंस्टॉल रहे। यही कारण है कि Google का सर्च इंजन मार्केट में दबदबा बना रहता है और अन्य सर्च इंजन कंपनियों को नुकसान होता है।
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Google की गलत प्रैक्टिस पर सवाल?

अमेरिकी न्याय विभाग का दावा है कि गूगल की यह रणनीति बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को खत्म कर रही है और डिजिटल बाजार के नियमों का उल्लंघन कर रही है। हालांकि, Google को इस मुद्दे पर पहले भी चेतावनी दी गई थी, लेकिन कंपनी ने अपनी नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया, क्योंकि उसे सर्च इंजन से अरबों डॉलर का मुनाफा हो रहा है।

Google का तर्क?

Google का तर्क है कि उसे Apple और Mozilla जैसे प्रमुख पार्टनर्स के साथ डिफॉल्ट सर्च इंजन को सेट करने का अधिकार बनाए रखना चाहिए। इसके अलावा, कंपनी का कहना है कि उसके साझेदारों को अन्य सर्च इंजन कंपनियों के साथ स्वतंत्र रूप से समझौते करने की पूरी आज़ादी मिलनी चाहिए। उदाहरण के रूप में, Apple को अपने iPhones और iPads पर अलग-अलग डिफॉल्ट सर्च इंजन विकल्प देने की अनुमति होनी चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को अधिक स्वतंत्रता मिले और डिजिटल प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल सके।

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