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Kissing Transmit Depression : किस करने से पार्टनर को हो सकता है Depression, सिर्फ 6 महीने में दिखने लगते हैं ऐसे लक्षण

Kissing Transmit Depression : आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि एक नई रिसर्च के मुताबिक, डिप्रेशन और एंग्जायटी मुंह के बैक्टीरिया या किस करने से शादीशुदा जोड़ों के बीच फैल सकती है।

भारतMay 24, 2025 / 06:24 pm

Manoj Kumar

Kissing Transmit Depression

Kissing Transmit Depression : किस करने से पार्टनर को सकता है Depression, सिर्फ 6 महीने में दिखने लगते हैं ऐसे लक्षण (फोटो सोर्स : Freepik)

Kissing Transmit Depression : आपको शायद जानकर हैरानी होगी, लेकिन एक नई रिसर्च के मुताबिक डिप्रेशन और एंग्जायटी मुंह के बैक्टीरिया या किस (Kissing) करने से शादीशुदा जोड़ों के बीच फैल सकती है।

क्या आपको पता था कि आप अपने पार्टनर से डिप्रेशन और एंग्जायटी मुंह के बैक्टीरिया के ज़रिए पा सकते हैं? सुनकर चौंक गए ना? दरअसल, एक नई स्टडी में सामने आया है कि डिप्रेशन (Depression) और एंग्जायटी पार्टनर्स के बीच (Kissing Transmit Depression) किस करने से फैल सकती है। यहां तक कि एक सेहतमंद पार्टनर भी डिप्रेस्ड पार्टनर से शादी के सिर्फ छह महीने बाद ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षण दिखाने लग सकता है
जब भी आप अपने पार्टनर को किस करते हैं, खाना शेयर करते हैं, या बस उनके पास सांस लेते हैं, तो आप लाखों बैक्टीरिया का आदान-प्रदान करते हैं। नई रिसर्च बताती है कि बैक्टीरिया के इस लेन-देन से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें भी फैल सकती हैं।
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Kissing Transmit Depression : क्या किस करने से डिप्रेशन पार्टनर के बीच फैल सकता है?

ईरान में नए शादीशुदा जोड़ों पर 2025 में हुई एक स्टडी (‘एक्सप्लोरेटरी रिसर्च एंड हाइपोथीसिस इन मेडिसिन’ में छपी है) में पाया गया कि जब एक पार्टनर डिप्रेशन (Depression) और एंग्जायटी से पीड़ित होता है तो वह अपने स्वस्थ पार्टनर के मुंह के बैक्टीरिया को बदल सकता है। इससे स्वस्थ पार्टनर के मूड और नींद के पैटर्न में बदलाव आ सकता है। रिसर्चर्स ने अपने पेपर में कहा, करीबी संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों के बीच मुंह के माइक्रोबायोटा का आदान-प्रदान आंशिक रूप से डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों में मध्यस्थता करता है।
शादी के सिर्फ छह महीने के अंदर जो पार्टनर पहले पूरी तरह स्वस्थ थे उनमें (Depression) डिप्रेशन, एंग्जायटी और नींद की दिक्कतें होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ गई, खासकर तब जब उनके पार्टनर को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी ये दोनों समस्याएं और साथ में नींद न आने की दिक्कत भी थी।
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रिसर्च क्या कहती है (Depression Kissing Research 2025)

आजाद रिसर्चर रेजा रस्तमनेश के नेतृत्व में हुई इस स्टडी में 1,740 ऐसे कपल्स को ट्रैक किया गया जिनकी शादी को औसतन छह महीने हुए थे। इसमें 268 स्वस्थ पार्टनर्स की तुलना 268 ऐसे पार्टनर्स से की गई जिन्हें डिप्रेशन, एंग्जायटी और नींद की दिक्कतें थीं।
इन सभी ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े स्टैंडर्ड टेस्ट दिए स्ट्रेस हार्मोन मापने के लिए लार के सैंपल दिए और उनके मुंह के बैक्टीरिया का एडवांस डीएनए सीक्वेंसिंग तकनीकों से विश्लेषण किया गया।

शुरुआत में छह महीने के दौरान स्वस्थ पार्टनर्स के डिप्रेशन, एंग्जायटी और नींद की गुणवत्ता के टेस्ट के स्कोर सामान्य थे। हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं वाले पार्टनर के साथ रहने के बाद, उनके स्कोर में काफी बढ़ोतरी देखी गई। उनके मुंह के बैक्टीरिया भी उनके डिप्रेस्ड और चिंतित पार्टनर्स जैसे ही पाए गए।
क्लोरस्ट्रिडिया (Clostridia), वेलोनेला (Veillonella), बैसिलस (Bacillus) और लैक्नोस्पिरेसी (Lachnospiraceae) जैसे बैक्टीरिया दोनों पार्टनर्स में ज्यादा मात्रा में पाए गए। ये बैक्टीरिया दिमागी बीमारियों से जुड़े हैं, जिनमें डिप्रेशन, एंग्जायटी और नींद की दिक्कतें शामिल हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बैक्टीरिया ब्लड-ब्रेन बैरियर (जो दिमाग को हानिकारक चीज़ों से बचाता है) को कमज़ोर करके दिमाग पर असर डालते हैं।
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महिलाओं पर ज्यादा असर

रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि महिलाएं इस बैक्टीरिया के फैलाव के प्रति ज़्यादा संवेदनशील थीं महिला पार्टनर्स में उनके मुंह के माइक्रोबायोम और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के स्कोर में ज़्यादा बड़े बदलाव देखे गए।

स्टडी के दौरान उन्होंने कोर्टिसोल (Cortisol) के स्तर को भी मापा और पाया कि डिप्रेस्ड और चिंतित पार्टनर्स से शादी करने वाले स्वस्थ पार्टनर्स में छह महीनों के अंदर स्ट्रेस हार्मोन में काफी बढ़ोतरी हुई जिससे पता चलता है कि उनकी स्ट्रेस रिस्पॉन्स सिस्टम एक्टिव हो रही थी।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।

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