इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए स्वास्थ्य विभाग और वन विभाग मिलकर काम करेंगे। इसका दोहरा उद्देश्य है: एक ओर नवजात शिशुओं के भविष्य को खुशहाल और समृद्ध बनाना, वहीं दूसरी ओर पूरे प्रदेश में हरियाली का विस्तार करना और परिवारों को वृक्षारोपण तथा उनके संरक्षण के प्रति प्रेरित करना।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष, सुनील चौधरी ने इस पहल पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस मानसून सत्र में प्रदेश भर में कुल 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से सर्वाधिक पौधरोपण का भार लखनऊ मंडल पर होगा। इस वर्ष सरकार का विशेष ध्यान ‘त्रिवेणी वन’ की स्थापना और उनके रखरखाव पर केंद्रित है। साथ ही, विभिन्न महापुरुषों के सम्मान में भी वन वाटिकाएं विकसित की जाएंगी। वृक्षारोपण में मुख्य रूप से शीशम और सागौन जैसी इमारती लकड़ी वाली प्रजातियों को प्राथमिकता दी जाएगी। चौधरी ने नवजात को उपहार स्वरूप पौधा देने के प्रतीकात्मक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह बच्चे के जीवन में खुशहाली, समृद्धि और विकास का द्योतक है।
योजना के तहत, ‘वन महोत्सव’ (1 से 7 जुलाई) की अवधि में जन्मे सभी नवजात शिशुओं के अभिभावकों को वन अधिकारियों द्वारा संबंधित सरकारी अस्पतालों में जाकर ‘ग्रीन गोल्ड’ सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा। इस प्रमाण पत्र के साथ, उन्हें सागौन, शीशम सहित अन्य मूल्यवान इमारती प्रजातियों के पौधे भेंट किए जाएंगे। अभिभावकों को इन पौधों को उपयुक्त खाली स्थानों पर लगाने और उनकी देखभाल करने के संबंध में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी, ताकि यह पहल केवल एक प्रतीकात्मक कार्य न होकर, वास्तव में हरित भविष्य की ओर एक सार्थक कदम बन सके।