समय परिवर्तन की आवश्यकता
होली का त्योहार प्रायः दोपहर 1:00 बजे तक मनाया जाता है, जबकि जुमे की नमाज का समय आमतौर पर 12:30 से 1:30 बजे के बीच होता है। दोनों आयोजनों के समय में संभावित टकराव को देखते हुए, लखनऊ के इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रमुख मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सभी मस्जिद कमेटियों से नमाज का समय बढ़ाकर दोपहर 2:00 बजे करने की अपील की थी।
प्रमुख मस्जिदों में समय परिवर्तन
लखनऊ की प्रमुख मस्जिदों जैसे ऐशबाग जमा मस्जिद ईदगाह, में भी नमाज का समय 12:45 बजे से बदलकर 2:00 बजे किया गया। यह परिवर्तन शहर भर में लागू किया गया, जिससे मुसलमानों को अपनी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने में सुविधा हुई। प्रशासनिक निर्देश और सुरक्षा प्रबंध
प्रशासन ने शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए विशेष निर्देश जारी किए थे। मुसलमानों से अपील की गई थी कि वे दूर की मस्जिदों में जाने के बजाय अपने मोहल्ले की मस्जिदों में ही नमाज अदा करें। साथ ही, गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी गई थी, ताकि किसी को असुविधा न हो।
होली के जुलूसों का समापन समय
होली के जुलूसों को भी समय से पहले समाप्त किया गया, जिससे नमाज के लिए मार्ग और वातावरण सुरक्षित रहे। यह कदम दोनों समुदायों के बीच आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया था। धार्मिक नेताओं की अपील
बरेली में ‘ऑल इंडिया मुस्लिम जमात’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भी प्रदेश की मस्जिदों के इमामों से अपील की थी कि होली वाले दिन जुमे की नमाज का समय 2:30 बजे रखा जाए। उन्होंने मुसलमानों से आग्रह किया कि वे 3-4 घंटे सड़कों और गलियों में न निकलें और यदि आवश्यक हो, तो अत्यंत सावधानी बरतें।
समाज की प्रतिक्रिया
समाज के विभिन्न वर्गों ने इन प्रबंधों की सराहना की। लोगों ने प्रशासन और धार्मिक नेताओं के प्रयासों को सराहा, जिन्होंने सुनिश्चित किया कि दोनों त्योहार शांतिपूर्ण और सम्मानजनक तरीके से मनाए जाएं। लखनऊ में होली और जुमे की नमाज के एक साथ पड़ने पर समय परिवर्तन और प्रशासनिक एहतियात ने शहर में शांति और सौहार्द बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कदम विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा देने का उदाहरण प्रस्तुत करता है।