अलाया अपार्टमेंट हादसे से मिली चेतावनी
एलडीए की यह पहल जनवरी 2024 में अलाया अपार्टमेंट और ट्रांसपोर्ट नगर स्थित एक व्यावसायिक इमारत के गिरने की घटनाओं के बाद सामने आई है। इन हादसों ने न केवल शहर वासियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए, बल्कि सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही और नियामक व्यवस्था की खामियों को भी उजागर कर दिया। इन घटनाओं में कई लोगों को जान गंवानी पड़ी और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ। इन्हीं घटनाओं से सबक लेते हुए, एलडीए ने सितंबर 2024 की बोर्ड बैठक में बहुमंजिला इमारतों की स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट योजना को मंजूरी दी थी। हालांकि शासन से अंतिम सहमति न मिलने के कारण प्रस्ताव लागू नहीं हो सका था। अब शासन की स्वीकृति मिलते ही एलडीए ने इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है।
150 इमारतों के मालिकों को नोटिस जारी
एलडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में 150 इमारतों के मालिकों को नोटिस भेजे गए हैं और उन्हें 2025 के भीतर ऑडिट कराने के निर्देश दिए गए हैं। अगर संबंधित इमारत मालिक सुरक्षा ऑडिट नहीं कराते हैं, तो उनके खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) रद्द करना और निर्माण अनुमति को निरस्त करना जैसे कठोर कदम भी शामिल हैं। एलडीए के आंकड़ों के अनुसार इन 276 इमारतों में से 58 इमारतें एलडीए के स्वामित्व में हैं, जबकि 218 इमारतें निजी क्षेत्र की हैं। इनमें से अधिकतर इमारतें ऐसी हैं, जहां पिछले कई वर्षों से कोई भी संरचनात्मक जांच नहीं कराई गई है। इससे यह खतरा बना हुआ है कि समय के साथ इमारतों की मजबूती घट सकती है, जो भविष्य में गंभीर हादसों को न्योता दे सकती है।
स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट क्या होता है
एलडीए के नियमों के अनुसार15 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली हर इमारत का प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट कराना अनिवार्य है। इस ऑडिट के अंतर्गत इमारत की निम्नलिखित तकनीकी जांच की जाती है: - नींव (Foundation) की मजबूती
- बीम, कॉलम, दीवारें व छत की संरचनात्मक स्थिति
- जल निकासी एवं वर्षा जल संरक्षण व्यवस्था
- आग से सुरक्षा के उपकरणों की उपलब्धता और क्रियाशीलता
- लिफ्ट, सीढ़ियों, बिजली, वेंटिलेशन और इमरजेंसी एक्जिट की व्यवस्था
- यह ऑडिट किसी अधिकृत तकनीकी विशेषज्ञ संस्था या सरकार द्वारा पंजीकृत एजेंसी से ही कराया जा सकता है।
40 वर्ष पुरानी इमारतें भी शामिल
एलडीए के अधिकारियों ने बताया कि सूची में शामिल कुछ इमारतें पांच वर्ष पुरानी हैं, जबकि कुछ इमारतें 40 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। इस कारण उनकी जांच और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। कई इमारतों की मरम्मत नहीं हुई है, जिनकी संरचना समय के साथ कमजोर हो सकती है।
शासन की सहमति के बाद मिली रफ्तार
एलडीए की योजना कई महीनों से अटकी पड़ी थी, क्योंकि शासन की अंतिम मंजूरी नहीं मिली थी। अब शासन से हरी झंडी मिलने के बाद एलडीए ने न केवल पुराने प्रस्तावों को लागू करने की तैयारी शुरू की है, बल्कि नई तकनीकी गाइडलाइन भी तैयार की जा रही हैं जिससे भविष्य में हर पांच वर्ष पर यह ऑडिट नियमित रूप से हो।
भविष्य में इमारतों के नक्शे पास कराने से पहले सुरक्षा की शर्त
एलडीए सूत्रों के अनुसार अब नए निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की प्रक्रिया में भी सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट को अनिवार्य दस्तावेजों में शामिल किया जा सकता है। इससे निर्माण की शुरुआत से ही इमारत की मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
बिल्डिंग बायर्स के लिए भी राहत
यह कदम फ्लैट खरीदारों और निवेशकों के लिए भी राहत का सबब है, क्योंकि इससे उन्हें किसी भी इमारत की सुरक्षा स्थिति के बारे में पारदर्शी जानकारी मिल सकेगी। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां लोगों ने भारी भरकम कीमत पर फ्लैट खरीदे लेकिन कुछ ही वर्षों में इमारत जर्जर अवस्था में पहुंच गई। सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों और रिटायर्ड टाउन प्लानर्स ने एलडीए के इस निर्णय की सराहना की है। उनका कहना है कि यह निर्णय जनहित में है और इससे लखनऊ जैसे तेजी से बढ़ते शहर में जीवन सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
अब लापरवाही नहीं चलेगी
एलडीए की यह पहल राजधानी लखनऊ को एक सुरक्षित, मजबूत और नियोजित शहर की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास है। अब भवन स्वामियों को समय पर सेफ्टी ऑडिट कराना ही होगा, अन्यथा उन्हें न केवल जुर्माना भरना पड़ सकता है बल्कि कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।