UP मिशन 2027-अखिलेश यादव की नई राजनीति: जाति, जेंडर और डिजिटल मोर्चे पर BJP को घेरने की तैयारी
अखिलेश यादव ने भाजपा को 2027 में पूरी तरह से घेरने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। जाति, जेंडर और डिजिटल मोर्चे पर वह भारतीय जनता पार्टी को घेरने की फिराक में हैं। आइए समझते हैं पूरी कहानी
लखनऊ : समाजवादी पार्टी ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर बिगुल अभी से फूंक दिया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अब पारंपरिक राजनीति की लकीरों से बाहर निकलते हुए नए सामाजिक समीकरण, महिलाओं के मुद्दे और डिजिटल रणनीति को केंद्र में रखकर राजनीति कर रहे हैं। भाजपा की शक्तिशाली चुनावी मशीनरी को टक्कर देने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया और आईटी का मोर्चा संभाल लिया है।
अखिलेश यादव अब समाजवादी पार्टी की पारंपरिक ‘यादव-मुस्लिम’ पहचान को तोड़ते हुए बहुजातीय गठबंधन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने गैर यादव ओबीसी नेताओं जैसे निषादों और कुर्मियों को संगठन में सक्रिय भूमिका दी। दलित वोटर्स को साधने के लिए उन्होंने काशी में कांशीराम की प्रतिमा अनावरण किया। साथ ही, लखनऊ में ब्राह्मण सम्मेलन के दौरान उन्होंने पारंपरिक ब्राह्मण नेताओं जैसे माता प्रसाद पांडेय और पवन पांडेय से मुलाकात कर समुदाय के प्रति सम्मान जताया। 2022 के चुनावों में सपा को यादव-मुस्लिम क्षेत्रों में बेहतर समर्थन मिला, लेकिन गैर-यादव ओबीसी और सवर्ण वोटर अब भी भाजपा के साथ बने हुए थे। अखिलेश अब इन तबकों में पैठ बनाने के लिए सक्रिय हैं।
सम्मान, सुरक्षा और सहभागिता का फॉर्मूला
उत्तर प्रदेश की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती निर्णायक भूमिका को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने 2027 के चुनाव के लिए विशेष फोकस महिलाओं पर केंद्रित किया है। अखिलेश यादव की ‘स्त्री सम्मान योजना’ जिसके तहत निर्धन महिलाओं को 3000 प्रतिमाह सहायता देने का वादा है। ये केवल आर्थिक मदद भर नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत है कि सपा अब महिला सशक्तिकरण को अपनी मुख्यधारा रणनीति में शामिल कर रही है। इसके साथ ही ‘पिंक बूथ’, महिला सुरक्षा बल, और छात्राओं के लिए परिवहन सुविधा जैसे प्रस्तावों से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी महिला सुरक्षा और भागीदारी दोनों पहलुओं को साथ लेकर चलना चाहती है।
डिजिटल मोर्चे पर सीधा मुकाबला
समाजवादी पार्टी ने डिजिटल फ्रंट पर अपनी तैयारी को काफी मजबूत किया है। पार्टी ने न सिर्फ सोशल मीडिया की जिम्मेदारी को पेशेवर टीमों को सौंपा है, बल्कि हर जिले में वीडियो एडिटिंग और कंटेंट क्रिएशन यूनिट्स भी सक्रिय किए हैं। ‘सपाई सच’ और ‘BJP का जुमला, जनता का जवाब’ जैसे डिजिटल कैंपेन चलाकर सपा ने बीजेपी की सोशल मीडिया रणनीति को जवाब देने का प्रयास शुरू किया है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर पार्टी के समर्थक अब नियमित वीडियो, एनिमेटेड क्लिप्स और मुद्दा-आधारित मीम्स के ज़रिए अभियान को धार दे रहे हैं। सपा की यह डिजिटल रणनीति न सिर्फ विरोध का जवाब देने बल्कि खुद की बात प्रभावशाली ढंग से जनता तक पहुंचाने का नया मॉडल बनती जा रही है।
विपक्षी एकता में बढ़ती भूमिका
2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के INDIA गठबंधन को बड़ी सफलता मिली, जहां 43 में से 37 सीटों पर जीत दर्ज की गई। इस प्रदर्शन ने अखिलेश यादव को गठबंधन का सबसे प्रभावी चेहरा बना दिया है। अखिलेश ने हाल ही में स्पष्ट कहा कि INDIA गठबंधन कायम है, जो छोड़ना चाहे, छोड़ सकता है , जिससे उनके नेतृत्व की स्पष्टता और आत्मविश्वास झलकता है। आगामी 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश विपक्षी एकता बनाए रखने के पक्षधर हैं और कांग्रेस सहित अन्य दलों से सीट शेयरिंग पर बातचीत जारी है।
2027 के चुनाव में समाजवादी पार्टी पूरी तरह से नए अंदाज़ में सामने आने की कोशिश कर रही है। अखिलेश यादव की रणनीति जातीय समीकरणों के विस्तार, महिला सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों और डिजिटल प्रभुत्व स्थापित करने की है। वह भाजपा के प्रभावशाली आईटी और ग्राउंड नेटवर्क को चुनौती देने के लिए अलग अलग स्तर की रणनीति पर काम कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नई समाजवाद की राजनीति सपा को सत्ता तक पहुंचा पाएगी या नहीं।
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