पहले समझे मायावती की राजनीति
इन सवालों का जवाब जानने से पहले आपको बसपा सुप्रीमो मायावती की राजनीति को समझना होगा। दरअसल, कांशीराम की बसपा का गठन बेहद जुदा था। बसपा के कामकाज का तरीका अन्य सियासी पार्टियों से बिल्कुल अलग है। कांशीराम ने ऐसा मैकेनिज्म तैयार किया है जिसके तहत ये पार्टी न तो सड़क पर होती है न ही मीडिया की चर्चाओं में रहती है लेकिन इस पार्टी का कैडर अंदर ही अंदर काम करता रहता है बिल्कुल राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) की तरह। यही कारण है कि जब बसपा 2007 में सत्ता में आई तो किसी को अंदाजा भी नहीं था कि इस पार्टी की इतनी सीटें आ जाएंगी।
क्या चंद्रशेखर संभाल सकते हैं बसपा की कमान ?
अब लौटते हैं मायावती की राजनीति पर जिसके बिनाह पर लग रहा है कि चन्द्रशेखर बसपा की कमान संभाल सकते हैं। मायावती राजनीति में एक मंझी हुई खिलाड़ी है। उनके अब तक के फैसलों और कार्यशैली पर नजर डाले तो मायावती सड़क पर संघर्ष करने के बजाय जातीय और सियासी समीकरण पर ज्यादा विश्वास रखती है। पहले दलित-ब्राह्मण गठजोड़ से सत्ता हासिल की फिर दलित-मुस्लिम गठजोड़ किया। बसपा और मायावती की कार्यशैली से लगता है कि सड़क पर संघर्ष करने के बजाए सोशल इंजीनियरिंग कर लो तो चुनाव अपने आप जीत जाएंगे। यही वो कारण है जिससे राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि बसपा अपनी खोई हुई जमीन और बीच भंवर में फंसी नांव को चन्द्रशेखर के सहारे पार लगा सकती है।
क्या संशय में हैं मायावती ?
आकाश आनंद की बेदखली के बाद एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या मायावती अब चंद्रशेखर को दलित राजनीति में नई पहचान देने जा रही हैं? चंद्रशेखर की लोकप्रियता खासतौर पर दलित युवाओं के बीच काफी बढ़ी है, लेकिन अभी तक वह BSP में शामिल नहीं हुए हैं। मशहूर एंकर शुभाकंर मिश्रा के पॉडकास्ट में चन्द्रशेखर ने बताया कि वे मायावती से मिलना चाहते हैं लेकिन उन्हें अभी तक समय नहीं मिला है उन्होंने इच्छा जताई है कि मौका मिला तो वे बसपा के जरिए देश के दलित और शोषित समाज के बीच काम कर पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे। क्या बसपा में पारिवारिक राजनीति खत्म?
मायावती का कहना है कि पार्टी उनके लिए परिवार से ऊपर है। आकाश आनंद और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ के बीच की राजनीतिक खींचतान भी इस फैसले की बड़ी वजह बताई जा रही है। हालांकि, आनंद कुमार (आकाश के पिता) को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देना इस बात का संकेत है कि भविष्य में आकाश की वापसी संभव हो सकती है। BSP की सियासत अभी भी मायावती के मजबूत नियंत्रण में है। आकाश आनंद की विदाई फिलहाल अस्थायी हो सकती है, लेकिन बसपा के लिए दलित युवाओं को जोड़ने की चुनौती बनी रहेगी। चंद्रशेखर आजाद को मायावती प्रमोट करेंगी या नहीं, यह अभी अटकलों का विषय है, लेकिन इतना तय है कि BSP में बड़ा बदलाव हो रहा है, जिसका असर आगामी चुनावों में दिख सकता है।