क्यों अटका है चयन?
प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका है, लेकिन तब से नए नाम पर सहमति नहीं बन पाई। इसकी प्रमुख वजह भाजपा की सामाजिक समीकरण साधने की चुनौती है। समाजवादी पार्टी के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ ने भाजपा की रणनीतिक उलझनों को बढ़ा दिया है। भाजपा अब सवर्ण चेहरा सामने लाने का जोखिम नहीं उठाना चाहती, ताकि विपक्ष के जातीय विमर्श को बल न मिले।चल रहा है मंथन
संगठन के अंदर OBC और दलित नेताओं के नामों पर मंथन हुआ, लेकिन OBC वर्ग के भीतर भी लोध, कुर्मी, निषाद जैसी उपजातियों में किसे तवज्जो दी जाए, इस पर सहमति नहीं बन सकी। दलित वर्ग में पासी और सोनकर जैसी जातियों को लेकर भी संशय है। इन सामाजिक समीकरणों की उलझन ने भाजपा की निर्णायकता को प्रभावित किया है।क्या राष्ट्रीय नेतृत्व भी उलझन में है?
प्रदेश अध्यक्ष के चयन में देरी का एक बड़ा कारण यह भी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल भी जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था, जिसे पहले जून और फिर दिसंबर 2024 तक बढ़ाया गया। अब एक बार फिर पहलगाम आतंकी हमले के बाद संगठनात्मक नियुक्तियों पर विराम लग गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जब तक जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों में हालात सामान्य नहीं होते, तब तक यूपी में भी कोई बड़ा फैसला नहीं होगा।जातीय जनगणना का दांव और दलित असंतोष
भाजपा सरकार ने हाल ही में जातीय जनगणना का निर्णय लिया है, जिसे पार्टी पिछड़े और दलित वर्ग के बीच बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करना चाहती है। ऐसे समय में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा को एक ‘सामाजिक संदेश’ के रूप में देना चाहती है, इसलिए हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है।करणी सेना से दलित वोट का झटका

सपा नेता और क्षत्रिय करणी सेना के बीच छिड़ी जंग ! 1000 डंडे और 1200 हेलमेट के साथ पुलिस तैयार
कब होगा ऐलान?
सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच अंतिम दौर की बातचीत के बाद ही नाम तय होगा। फिलहाल, पार्टी पहलगाम हमले के बाद के हालातों से निपटने में व्यस्त है। संभावना जताई जा रही है कि मई के मध्य या जून की शुरुआत में इस पर निर्णय हो सकता है।कौन हो सकते हैं UP के नए BJP प्रदेश अध्यक्ष?
ब्राह्मण चेहरा
दिनेश शर्मा उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। वे पूर्व में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य (MLC) भी रह चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी में उन्होंने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा गुजरात प्रदेश के प्रभारी जैसे महत्वपूर्ण दायित्व निभाए हैं। इसके अलावा, वे लखनऊ नगर निगम के महापौर भी रह चुके हैं।

