नर्मदा नगरी मंडला में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा विगत पांच वर्षों से दो चरणों में आयोजित की जा रही है। चैत्र मास के बाद द्वितीय चरण की परिक्रमा विशेष रूप से महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं के लिए आयोजित की जाती है, क्योंकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की गणना पद्धतियों में 15 दिनों का अंतर होता है। इसी कारण चैत्र मास समाप्त होने के 15 दिनों बाद तक यह परिक्रमा महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं के लिए रखी जाती है।
ये है परिक्रमा का महत्व
सांसारिक बंधनों में बंधे लोग संपूर्ण नर्मदा परिक्रमा के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए शास्त्रों में एक प्रावधान यह भी किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश संपूर्ण नर्मदा परिक्रमा नहीं कर पा रहा हो, तो वह उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा करके इस पुण्य लाभ को प्राप्त कर सकता है।
मंडला जिले का सौभाग्य है कि मां नर्मदा यहां तीन ओर से प्रवाहित होती हैं। इसके अलावा, जिले में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा तट भी स्थित है, जिससे नर्मदा नगरी का आध्यात्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है। अमरकंटक से निकलकर खंभात की खाड़ी तक प्रवाहित होने वाली मां नर्मदा तीन स्थानों पर उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई हैं। इन स्थानों पर परिक्रमा करने का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
तीन जगहों पर नर्मदा परिक्रमा
नर्मदा भक्तों के सत्संग के दौरान उत्तरवाहिनी परिक्रमा पर विस्तार से चर्चा की गई। आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह बताया गया कि मां नर्मदा ने कभी उत्तर दिशा और कभी दक्षिण दिशा में प्रवाह क्यों किया। पूरे नर्मदा क्षेत्र में तीन स्थान ऐसे हैं जहां मां नर्मदा उत्तरवाहिनी हुई हैं— - तिलकवाड़ा, गुजरात
- मंडला, मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर के पास का क्षेत्र, जो अब बांध बनने के कारण डूब क्षेत्र में समा चुका है।
परिक्रमा का मार्ग
मंडला में उत्तरवाहिनी नर्मदा की परिक्रमा महाराजपुर संगम से घाघा-घाधी घाट तक होती है। यहां मां नर्मदा लगभग 19 किमी तक उत्तरवाहिनी प्रवाहित हुई हैं। परिक्रमा करने के दौरान वापसी मार्ग मिलाकर कुल 39 किमी की परिक्रमा पूरी की जाती है।
व्यास नारायण मंदिर मे होगा समापन
उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा 27 मार्च को महाराजपुर संगम घाट से प्रातः प्रारंभ होगी और उसी दिन घाघा-घाधी घाट पहुंचेगी, जहां रात्रि विश्राम होगा। दूसरे दिन 28 मार्च को परिक्रमा पुनः शुरू होकर ग्यारी तट, फूलसागर, तिंदनी होते हुए कटरा पहुंचेगी। नगर से होते हुए यह परिक्रमा व्यास नारायण मंदिर, किले घाट में संपन्न होगी।
परिक्रमा के लिए निर्धारित पोशाक
महिष्मति मां नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजन समिति की बैठक में इस वर्ष की परिक्रमा की रूपरेखा तैयार की गई। पहला चरण 27-28 मार्च को और दूसरा चरण 19-20 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा। परिक्रमा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की एकता और भव्यता को बनाए रखने के लिए पारंपरिक पोशाक निर्धारित की गई है;-
- पुरुष: सफेद कुर्ता-धोती या कुर्ता-पैजामा
- महिलाएं: केसरिया (भगवा) या लाल साड़ी / सलवार सूट
आयोजन समिति द्वारा ऑनलाइन पंजीयन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। परिक्रमा में भाग लेने के इच्छुक श्रद्धालु गूगल लिंक के माध्यम से अपना फार्म भरकर पंजीयन कर सकते हैं। आयोजन समिति ने बताया कि यह उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा पूरी तरह नि:शुल्क होगी। श्रद्धालुओं को इस पवित्र यात्रा का लाभ उठाने के लिए समय रहते पंजीयन कराना आवश्यक होगा।