गांधीसागर अभ्यारण्य में दिखी कैराकल बिल्ली…
डीएफओ संजय रायखेड़े ने बताया गांधीसागर अभयारण्य में दुर्लभ स्याहगोश (कैराकल) की उपस्थिति दर्ज की गई। यह मांसाहारी प्रजाति अत्यंत शर्मीली, तेज गति से दौड़ने वाली और सामान्य रुप से रात्रिचर होती है। यह मुयत: शुष्क झाड़ीदार, पत्थरीले और खुली घास भूमि वाले इलाकों में पाई जाती है। भारत में अब यह प्रजाति विलुप्तप्राय श्रेणी में रखी गई है और इसकी उपस्थिति दुर्लभ मानी जाती है। वनमंडल मंदसौर में लगाए गए कैमरा ट्रैप में एक व्यस्क नर कैराकल की उपस्थिति दर्ज होना न केवल जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। बल्कि यह अभयारण्य में संरक्षित आवासों की गुणवत्ता और संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है।गांधीसागर में वातावरण बेहतर
डीएफओ रायखेड़े ने बताया कि कैराकल की उपस्थिति यह दर्शाती है कि गांधीसागर क्षेत्र के शुष्क और अद्ध.र्शुष्क पारिस्थितिक तंत्र अब भी इतने समृद्ध और संतुलित हैं कि वे इस दुर्लभ प्रजाति को आश्रय दे सकते हैं। मध्यप्रदेश में पिछले कई सालों में किसी संरक्षित क्षेत्र में कैराकल की पुष्टि हुई है। यह खोज न केवल वन्यजीव शोध के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे संरक्षण प्रयासों की सफलता का भी प्रमाण है। बताया जा रहा है कि 2016 में भी गांधीसागर अभयारण्य क्षेत्र में यह बिल्ली देखी गई थी।