धर्म जानने के लिए कपड़े उतरवाना अमानवीय
उन्होंने मुजफ्फरनगर में धर्म जानने के लिए कपड़े उतरवाकर की गई चेकिंग की घटना की कड़ी निंदा की और उसे आतंकियों जैसा व्यवहार बताया। प्रशासन का काम
बुधवार शाम मुरादाबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व सांसद ने कहा, “सरकार सांप्रदायिक माहौल को बढ़ावा दे रही है। धर्म की जांच के नाम पर कपड़े उतरवाना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। यह वही तरीका है जो पहले आतंकवादी पहलगाम में अपनाते रहे हैं।”
सिर्फ प्रशासन को है जांच करने का अधिकार
उन्होंने कहा कि चेकिंग करना प्रशासन का काम होता है, न कि आम लोगों का। अगर इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा मिला तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे और समाज में नफरत फैलेगी।
कांवड़ यात्रा में रहा है मुस्लिमों का योगदान
डॉ. हसन ने कहा कि कांवड़ यात्रा कोई नई परंपरा नहीं है। यह हजारों वर्षों से चली आ रही है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग भी भाग लेते रहे हैं, भंडारे लगाते रहे हैं और सेवाएं देते आए हैं।
भेदभाव के नए नियम बना रहे दरार
उन्होंने कहा कि पहले कभी ऐसा भेदभाव नहीं देखा गया, लेकिन अब नए नियमों और घटनाओं के जरिए दोनों समुदायों में दूरी पैदा की जा रही है।
बंटवारा देश को कमजोर करेगा
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर आबादी धार्मिक आधार पर बंट गई तो क्या देश मजबूत होगा या कमजोर? “हम साथ रहते हैं, साथ खाते हैं, मिलजुल कर जीवन बिताते हैं। अब यह आम लोगों को तय करना है कि वे एकता चाहते हैं या बंटवारा,” डॉ. हसन ने कहा। नेम प्लेट पर नहीं जताई आपत्ति
डॉ. हसन ने यह भी स्पष्ट किया कि दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि यह प्रशासन का आदेश है और उसका पालन सभी को करना चाहिए।