महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने मानदंडों पर खरा नहीं उतरने वाली लाडली बहनों को अयोग्य घोषित करने की दिशा में अहम कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि योजना का लाभ जरूरतमंदो को मिले और चुनाव के दौरान 2100 रुपये देने के वादे पर अमल करते समय सरकारी खजाने पर अधिक बोझ न पड़े, इसके लिए अपात्र महिलाओं का नाम योजना से हटाने की कवायद शुरू की गई है।
जानकारी के मुताबिक, लाडकी बहीण योजना (Ladli Behna Yojana) के लाभार्थियों के सत्यापन के लिए चार पहिया वाली लाडली बहनों की सूची जिला प्रशासन को प्राप्त हुई है। इस सूची में यह बात सामने आई है कि पुणे जिले में 75 हजार 100 लाभार्थी महिलाओं या उनके परिवार के पास चार पहिया वाहन हैं। यह योजना की उन महिला लाभार्थियों की सूची है जिनके पास वाहन हैं या उनके परिवार के नाम पर वाहन हैं। इसलिए अब इस सूची के अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उनके घर जाकर सत्यापन करेंगी।
बता दें कि पुणे में लाडकी बहिन योजना (Mukhyamantri Majhi Ladki Bahin Yojana) के लिए कुल 21 लाख 11 हजार 991 आवेदन मिले थे। जिसमें से 20 लाख 89 हजार 946 महिलाओं को योजना का लाभ मिल रहा है। इसमें 75 हजार 100 लाडली बहनों के पास चार पहिया वाहन होने का खुलासा हुआ हैं।
महाराष्ट्र के पिछले साल के बजट में गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं के आर्थिक मदद के लिए लाडकी बहीण योजना (Ladki Bahin Scheme) की घोषणा की गई थी। महायुति सरकार ने 1 जुलाई से इसे लागू किया और अब तक 1,500 रुपये हर महीने के हिसाब से सात किस्तों का भुगतान कर दिया।
चुनाव प्रचार के दौरान महायुति सरकार ने लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को 2100 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था। ऐसे में यदि अब 2.5 करोड़ पंजीकृत लाडली बहनों को 2,100 रुपये प्रति माह दिया जाता है तो योजना पर कुल वार्षिक खर्च बढ़कर 63,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।
राज्य सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि लाभार्थियों का क्रॉस-वेरिफिकेशन किया जाएगा, इसके बाद जरूरत पड़ने पर नाम हटाए जाएंगे। योजना के नियमों के अनुसार, जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, या चार पहिया वाहन (ट्रैक्टर छोड़कर) के मालिक हैं, या जो राज्य से बाहर चले गए हैं, या जिनके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं है, या जिनके बैंक खाते आधार से लिंक नहीं है, या जो पहले से ही किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ ले रहे हैं, वे लाडकी बहिन योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं।