जानकारी के मुताबिक, हसन मुश्रीफ के पास वाशिम जिले के पालक (संरक्षक) मंत्री की जिम्मेदारी थी, इसके अलावा वे वैद्यकीय शिक्षा विभाग का कार्यभार भी संभाल रहे थे। सूत्रों का कहना है कि मुश्रीफ ने अपने इस फैसले के पीछे वजह यह बताई कि वे लगातार कोल्हापुर, मुंबई और वाशिम के बीच 800 किमी का लंबा सफर नहीं कर सकते हैं। 70 वर्षीय नेता ने यह नाराजगी एनसीपी प्रमुख अजित पवार के सामने भी जताई और उनसे पालक मंत्री पद से मुक्त करने का निवेदन किया।
अब वाशिम जिले को जल्द ही नया पालक मंत्री मिल सकता है। ऐसी अटकलें हैं कि अजित पवार गुट के युवा और खेल मंत्री दत्तात्रय भरणे को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। एनसीपी के कई मंत्रियों ने पहले ही इस बात पर नाराजगी जताई थी कि बीजेपी और शिवसेना के अधिकतर मंत्रियों को उनके गृह जिले की जिम्मेदारी दी गई, जबकि एनसीपी के मंत्रियों को दूर-दराज के जिलों का कार्यभार सौंपा गया।
माणिकराव कोकाटे पर भी इस्तीफे का दबाव
इधर, धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद अब कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उनके खिलाफ 30 साल पुराने एक अदालती मामले में सुनवाई चल रही है और आज के फैसले से उनका मंत्री पद ही नहीं, बल्कि विधायक पद भी खतरे में पड़ सकता है। कुछ ही समय में इस पर अदालत का फैसला आ सकता है।
एक ओर जहां हसन मुश्रीफ ने वाशिम के पालक मंत्री पद से हटने का फैसला किया है, वहीं रायगढ़, नासिक के पालक पद को लेकर महायुति के बीच पहले से घमासान मचा हुआ है। ऐसे में पालक मंत्री पद को लेकर सीएम फडणवीस का सिरदर्द बढ़ना तय है।