कैबिनेट विस्तार के बाद महायुति में रार सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद नहीं मिलने से छगन भुजबल, सुधीर मुनगंटीवार, नरेंद्र भोंडेकर, प्रकाश सुर्वे, विजय शिवतारे, राजेंद्र गावित, रवि राणा, दीपक केसरकर खफा हो गए हैं। इसका असर नागपुर में चल रहे शीतकालीन सत्र में भी देखने को मिल रहा है। बीजेपी नेता नवनीत राणा के विधायक पति राष्ट्रीय युवा स्वाभमान पार्टी के मुखिया रवि राणा सत्र छोड़कर नागपुर से अमरावती लौट आए।
छगन भुजबल ने खुलकर नाराजगी जताई. शीतकालीन सत्र के पहले दिन सुधीर मुनगंटीवार अनुपस्थित रहे। हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने नाराजगी की बात को खारिज कर दिया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि फडणवीस और चंद्रशेखर बावनकुले ने उन्हें मंत्री पद मिलने के बारे में बताया था।
वहीँ, रविवार शाम तानाजी सावंत भी अपना सामान लेकर नागपुर से पुणे चले आये। तानाजी सावंत भी आज सत्र से अनुपस्थित रहे. उनके कार्यालय ने बताया कि तानाजी सावंत पुणे लौट आए है, क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। बताया जा रहा है कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण डॉक्टर ने आराम की सलाह दी है।
शिवसेना नेता विजय शिवतारे ने कहा कि हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। मंत्री पद नहीं मिलने से नाराजगी 100 फीसदी है। अब ढाई साल बाद अगर मुझे मंत्री बनाया गया तो भी नहीं लूंगा। उन्होंने कहा, मुझे मंत्री पद की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि यह अधिक महत्वपूर्ण है कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र का काम मुख्यमंत्री द्वारा किया जाए। मैं मंत्री नहीं बनाये जाने पर नाराज नहीं हूं। लेकिन इस व्यवहार को लेकर काफी गुस्सा है।
‘छगन भुजबल खत्म नहीं होगा..’ छगन भुजबल की नाराजगी दूर करने के लिए राष्ट्रवादी पार्टी की ओर से कोशिशें की जा रही हैं। पत्रकारों से बात करते हुए भुजबल ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। भुजबल ने कहा कि मैं एक साधारण कार्यकर्ता हूं, मुझे हटा दिया जाए या किनारे कर दिया जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे मंत्री पद दिया गया हो या न दिया गया हो लेकिन छगन भुजबल खत्म नहीं होगा। छगन भुजबल ने ये भी कहा कि मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल से टकराव का उन्हें इनाम मिला है। इसके बाद छगन भुजबल सत्र छोड़कर तुरंत नासिक के लिए रवाना हो गए।