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नागौर में मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया, पर नहीं रुका मरीजों को रेफर करने का सिलसिला

पर्याप्त संसाधन व विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से गंभीर मरीजों को नहीं मिल पाता है उपचार, कागजों में ही दफन हो गया ट्रोमा सेंटर, न तो स्टाफ लगाया और न ही नहीं बन पाया

नागौरApr 12, 2025 / 10:46 am

shyam choudhary

ट्रोमा सेंटर को बना दिया इमरजेंसी, यहां भी पूरी सुविधा नहीं

ट्रोमा सेंटर को बना दिया इमरजेंसी, यहां भी पूरी सुविधा नहीं

नागौर. जिला मुख्यालय के पंडित जवाहरलाल नेहरू राजकीय अस्पताल से मरीजों को रेफर करने का सिलसिला आज भी जारी है। थोड़ा-सा गंभीर मरीज आते ही उसे प्राथमिक उपचार के बाद सीधा हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है, जबकि आज से दस साल पहले जब जिला अस्तपाल को श्रीवल्लभ रामदेव पित्ती अस्पताल भवन से नए अस्पताल भवन में शिफ्ट किया गया तो शहरवासियों के साथ जिलेवासियों को यही भरोसा दिलाया कि पंडित जेएलएन राजकीय अस्पताल में ट्रोमा सेंटर की सुविधा मिलेगी, जिससे गंभीर मरीजों व घायलों का का इलाज यहीं हो सकेगा। हालांकि नए अस्पताल भवन में ट्रोमा सेंटर के अनुसार भवन भी बनाया गया, लेकिन ट्रोमा सेंटर के लिए न तो ‘डेडिकेटेडस्टाफ’ नियुक्त किया गया और न ही संसाधन दिए गए, इसके कारण ट्रोमा सेंटर ने इमरजेंसी सेवा का रूप ले लिया और अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों व घायलों का उपचार स्थानीय स्तर पर करने की बजाए सीधा रेफर किया जाने लगा, जो आज भी जारी है।
हेड इंजरी वाले अधिकतर घायल रेफर

जेएलएन अस्पताल में हेड इंजरी (सिर की चोट) वाले घायलों को इमरजेंसी से सीधा हायर सेंटर रेफर किया जाता है। इसकी प्रमुख वजह यहां न्यूरो सर्जन नहीं होना है। विशेषज्ञों का कहना है कि हेड इंजरी वाले 90 प्रतिशत घायल हायर सेंटर पर बिना ऑपरेशन के ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन यहां न्यूरो सर्जन नहीं होने से कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। कई बार घायल की मौत होने पर रिस्क लेने वाले डॉक्टर के गले की फांस बन जाता है।
जानिए, क्या होता है ट्रोमा सेंटर

ट्रोमा सेंटर में आपातकालीन सेवाएं, शल्य चिकित्सा, रेडियोलॉजी और आईसीयू जैसी सुविधाएं होती हैं। ट्रोमा सेंटर में चोटिल मरीजों के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों और स्टाफ की व्यवस्था होती है। चौबीसों घंटे आपातकालीन सेवाएं, आईसीयू और एचडीयू, रेडियोलॉजी, क्रिटिकल केयर, रक्त बैंक सेवाएं, संज्ञाहरण, हड्डी रोग, न्यूरो सर्जरी आदि सुविधाएं होती हैं। ट्रोमा सेंटर में घायलों के लिए तीव्र देखभाल की जाती है।
बार-बार बंद हो जाती है सीटी स्केन मशीन

जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल में ठेका पद्धति से लगाई गई सीटी स्केन मशीन आए दिन खराब हो जाती है। जिससे मरीजों को न केवल परेशान होना पड़ता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी भार वहन करना पड़ता है। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि मशीन पुरानी होने से आए दिन खराब हो जाती है, जिसे ठीक होने में महीना-महीना लग जाता है।
मेडिकल कॉलेज का नहीं मिल रहा फायदा

जिला मुख्यालय पर पिछले साल मेडिकल कॉलेज भी शुरू हो गई, लेकिन कॉलेज में सहायक आचार्यों के ज्यादातर पद रिक्त होने से इसका फायदा जिले के लोगों को नहीं मिल पा रहा है। यानी जो सुविधाएं मेडिकल कॉलेज स्तर पर मरीजों को मिलनी चाहिए, वे अभी तक नहीं मिल रही हैं।
सुधार कर रहे हैं

इमरजेंसी के साथ ही ट्रोमा सेंटर चल रहा है, जिसमें ट्रोमा सेंटर के अनुरूप चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज जब पीजी बन जाएगा तो विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं 24 घंटे के लिए मिलने लग जाएंगी।
– डॉ. आरके अग्रवाल, पीएमओ, जेएलएन राजकीय अस्पताल, नागौर

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