रामनाम ही भेंट, रामरक्षा ही आशीर्वाद
आश्रम की शुरुआत मूर्तिराम महाराज ने एक झोंपड़ा बनाकर की। उस समय से यहां रुपए का लेनदेन वर्जित है। यहां आने वाले भक्त रामनाम स्मरण का संकल्प लेकर गुरु को रामनाम जपने को वचन देते हैं। गुरुजन भी भक्तों को रामरक्षा का आशीर्वाद देते थे। इस परम्परा का उनके शिष्य व संत मण्डली आज भी पूर्ण रूप से पालना करते हैं।हर क्रिया के पीछे राम नाम
आश्रम के हर काम में राम नाम रहता है। जैसे सुबह उठने के साथ रामजीराम से अभिवादन किया जाता है। उसके बाद स्नानराम, आरतीराम, कथाराम हर क्रिया के पीछे रामनाम जोड़ा गया है। हर वस्तु के साथ भी राम नाम जुड़ा रहता है। जलराम, रोटीराम, छाछ राम, खीचराम, सब्जीराम, प्रसादराम। नमक को भी रामरस कहा जाता है।Udaipur Crime : उदयपुर की फतहसागर सुसाइड मिस्ट्री में आया ट्विस्ट, बहन ने लगाया जीजा पर हत्या का आरोप
आश्रम में नकद लेनदेन वर्जित है
आश्रम में नगद लेनदेन वर्जित है। दाता गुलाबदास महाराज, मूर्तिराम महाराज के उपदेशों की पालना करते हुए रुपए का लेनदेन वर्जित है।हेतमराम महाराज, मुख्य अधिष्ठाता, करुणामूर्ति धाम, भादवासी
भौतिक सुख सुविधाओं का कोई मोह नहीं
आश्रम में राम के नाम का ही महत्व है। भौतिक सुख सुविधाओं का कोई मोह नहीं है। वस्त्र भी एक जोड़ी फटने तक दूसरी जोड़ी नहीं ली जाती। स्टॉक नहीं किया जाता।त्यागी संत नेमीराम, महाराज