झालावाड़ में सबसे ज्यादा चालान, आरोपियों की पहचान नहीं
वर्ष 2019 से 2023 तक पांच साल में लगभग सभी जिलों में भ्रूण हत्या के 449 मामले दर्ज किए गए। ज्यादातर मामलों में पुलिस ने एफआर लगाकर फाइल बंद कर दी। भ्रूण हत्या के मामलों में चालान करने में सबसे आगे झालावाड़ जिले की पुलिस रही है।तो फिर पुलिस क्यों ले टेंशन
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब जन्म देने वालों को ही बच्चा नहीं चाहिए तो पुलिस क्यों सिर दर्द मोल ले। दूसरी बड़ी वजह यह भी है कि ऐसे मामलों में कोई भी पैरवी नहीं करता, इसलिए पुलिस जब एफआर लगाती है तो कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई जाती है।अपराध गंभीर, समाज पर पड़ रहा असर
भ्रूण हत्या का अपराध गंभीर है। इससे समाज में महिलाओं की संख्या घट रही है। ऐसे अपराध सामान्य तौर पर अस्पताल या क्लीनिक संचालकों की मिलीभगत से होते हैं। भ्रूण हत्या के मामलों में ज्यादातर एफआइआर सरकार की ओर से दर्ज करवाई जाती है, इसलिए जब पुलिस न्यायालय में एफआर पेश करती है तो सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर लोक अभियोजक को आपत्ति जतानी चाहिए, ताकि पुलिस पर सही जांच करने का दबाव बने, लेकिन ऐसा होता नहीं।-के. राम बागडिया, सेवानिवृत्त डीजीपी
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गहन अनुसंधान की जरूरत
ऐसे मामलों में गहन अनुसंधान की जरूरत रहती है। यदि ढंग से जांच हो और डीएनए जांच से आरोपियों का पता लगाया जाए तो प्रभावी कार्रवाई हो सकती है, लेकिन पुलिस ऐसे में मामलों गंभीरता नहीं दिखाती।-सवाईसिंह चौधरी, सेवानिवृत्त डीआईजी