scriptनागौर कृषि कॉलेज के विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही जिम्मेदारों की उदासीनता | Patrika News
नागौर

नागौर कृषि कॉलेज के विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही जिम्मेदारों की उदासीनता

छात्र-छात्रओं के छात्रावास बने हुए हो गया डेढ़ साल से ज्यादा समय, फिर भी छात्र-छात्राओं को नहीं मिल रहा लाभ, करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद सूने पड़े हैं छात्र-छात्राओं के छात्रावास

नागौरMay 13, 2025 / 11:26 am

shyam choudhary

Boys hotal
नागौर. जिला मुख्यालय के बीकानेर रोड पर संचालित कृषि कॉलेज में छात्र-छात्राओं के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए छात्रावास पिछले एक-डेढ़ साल से धूल फांक रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कॉलेज के विद्यार्थी छात्रावास चालू नहीं होने के कारण बाहर किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि प्रथम चरण में कॉलेज का एकेडमिक भवन बनने के बाद दूसरे चरण में छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास, एकेडमिक स्टाफ के क्वार्टर, नॉन एकेडमिक स्टाफ के क्वार्टर, भोजनशाला, पार्किंग रोड सहित अन्य कार्यों के लिए करोड़ों रुपए की राशि स्वीकृत की गई, जिसमें अकेले छात्रा छात्रावास के लिए 12 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए। इसी प्रकार छात्र छात्रावास के लिए करोड़ों रुपए स्वीकृत किए गए। जिसके बाद टेंडर प्रक्रिया अपना कर वर्क ऑर्डर जारी किए और दोनों छात्रावासों का निर्माण कराया गया। इसमें छात्रा छात्रावास की क्षमता 84 बेड की है, जबकि छात्र छात्रावास की क्षमता 72 बेड की है। यानी यदि दोनों छात्रावासों में प्रवेश देकर चालू कर दिए जाएं तो 150 से अधिक विद्यार्थियों को छात्रावास में रहने की सुविधा मिल जाएगी और उन पर अनावश्यक आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा, लेकिन जिम्मेदारों की ढिलाई विद्यार्थियों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है।
विद्यार्थियों को हो रही परेशानी

कृषि कॉलेज नागौर में नागौर सहित प्रदेश के अन्य जिलों के छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। कॉलेज शहर से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित होने से विद्यार्थियों को रोजाना परेशान होना पड़ता है। विद्यार्थियों ने पत्रिका को बताया कि वे तो आवाज भी नहीं उठा सकते। लेकिन जो दूसरे जिलों के हैं, उन्हें यदि छात्रावास की सुविधा मिल जाए तो काफी सुविधा होगी। खासकर छात्राओं को चार किलोमीटर आना-जाना नहीं पड़ेगा।
पहले टेंडर में, फिर ठेकेदार ने की देरी

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छात्रावास बनने के बाद उनमें फर्नीचर, बेड, इलेक्ट्रोनिक सामान, मैस का सामान आदि के लिए कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर स्तर से टेंडर किए गए। हालांकि टेंडर प्रक्रिया में देरी की गई, लेकिन टेंडर होने के बाद जिस ठेकेदार को सामान सप्लाई करने का ठेका दिया, उसने आज तक पूरा सामान सप्लाई नहीं किया है। अब दूसरा टेंडर करने की तैयारी की जा रही है।
वार्डन बना दिए, क्वार्टर भी अलॉट

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छात्र-छात्राओं को भले ही छात्रावास में रहने की सुविधा अभी नहीं मिली, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने छात्र-छात्रा छात्रावास के वार्डन व चीफ वार्डन बना दिए और उन्हें क्वार्टर भी अलॉट कर दिए। इसी प्रकार कर्मचारियों को भी क्वार्टर अलॉट किए जा चुके हैं। हालांकि कुछ वार्डन व कर्मचारियों ने अभी क्वार्टर में रहना शुरू नहीं किया है।
गारंटी अवधि का नहीं मिल पाएगा लाभ

कॉलेज परिसर में बनाए गए छात्रावासों की मरम्मत की गारंटी कार्य पूर्ण करने से तीन साल तक है। ठेकेदार ने काम पूरा होने के बाद छात्रावास हैंडओवर कर दिए और सूचना बोर्ड पर तारीखें भी लिख दी हैं, जिनके हिसाब से गारंटी पीरियड पूरा होता नजर आ रहा है। लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। इस संबंध में कॉलेज डीन सीताराम से बात की तो उन्होंने बताया कि टेंडर किए गए, लेकिन ठेकेदार ने सामान ही सप्लाई नहीं किया। इस संबंध में ज्यादा जानकारी जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय की कंट्रोलर देगी। कंट्रोलर अंजली यादव से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

Hindi News / Nagaur / नागौर कृषि कॉलेज के विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही जिम्मेदारों की उदासीनता

ट्रेंडिंग वीडियो