तय करना होगा…अकेले या गठबंधन की राजनीति
‘कांग्रेस को अपनी रणनीति स्पष्ट करने की जरूरत है। उन्हें तय करना होगा कि वे गठबंधन की राजनीति करेंगे या अकेले चलेंगे। पार्टी के संगठन में मूलभूत परिवर्तन करना भी जरूरी हो गया है।’-तारिक अनवर, सांसद
दिल्ली के मुस्लिम चिंतित
अयोध्या विवाद के बाद मुस्लिम समुदाय को बड़ी मुश्किल से कांग्रेस की ओर लाया जा रहा था। दिल्ली चुनाव के बाद राजधानी के मुसलमानों को यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि कांग्रेस के कारण वहां भाजपा की सरकार बनी है।-राशिद अल्वी, वरिष्ठ नेता
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बयानों में छिपे हैं संदेश: चुनाव…संगठन और गठबंधन के लिए
1 बिहार चुनाव:
इस साल के अंत में यहां विधानसभा चुनाव होने हैं। तारिक अनवर बिहार से आते हैं। यहां कांग्रेस का राजद से पुराना गठबंधन है, लेकिन सीट बंटवारे में उसे पर्याप्त महत्त्व नहीं मिलता। पिछले चुनाव में कांग्रेस को ज्यादातर ऐसी सीटें दी गईं जो कमजोर थीं। दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद अब कांग्रेस राजद पर दबाव बढ़ाने के मूड में है। पार्टी नेता गठबंधन पर जल्द फैसला चाहते हैं।2 संगठन में बदलाव:
पार्टी दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की बात तो करती है, लेकिन संगठन में इनका प्रतिनिधित्व दावों के हिसाब से नहीं दिखता है। पार्टी हिंदी पट्टी में लगातार हार हो रही है। इसके बावजूद तीन प्रमुख पदों पर दक्षिण भारत के नेता काबिज है। संगठन महासचिव के पद को लेकर पार्टी में खासा घमासान है।3 इंडिया ब्लॉक:
इसमें शामिल दल राष्ट्रीय मुद्दों पर एक नजर आते हैं, लेकिन राज्यों में आपस में जोरदार तरीके से एक-दूसरे से लड़ते हैं। दिल्ली, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इसके प्रमुख उदाहरण है। कांग्रेस के अधिकांश नेता चाहते हैं कि इंडिया ब्लॉक की प्रकृति भी यूपीए की तरह होनी चाहिए।ये भी पढ़े: Delhi Politics: AAP विधायक अमानतुल्लाह खान के घर पहुंची पुलिस, जानें क्या है पूरा मामला