लेजर क्लिनिक में टैटू हटवाने की लगी होड़
लेजर क्लिनिक में बासित बशीर ने बताया कि हर दिन लगभग 100 युवक टैटू हटवा रहे हैं। बशीर ने बताया कि उन्होंने पहलगाम हमले के बाद एक हजार से अधिक युवाओं के हाथों और गर्दन से एके-47 (AK-47)और रॉकेट लॉन्चर (Rocket Launcher) जैसे हथियारों तथा चांद-सितारा जैसे टैटू हटाए हैं। ऐसे युवकों की संख्या बढ़ रही है। इसी हफ्ते एक युवक हथियार का टैटू हटवाने आया तो उसके दोस्तों ने बताया कि स्थिति नाजुक है और इसे हटाना बेहतर है।
कभी टैटू बना था विरोध का जरिया
रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर में 1989 में भारत के खिलाफ माहौल, आतंकियों और कट्टरपंथ के समर्थन के लिए टैटू राजनीतिक अभिव्यक्ति का एक जरिया बन गया था। घाटी में अशांति के दौर में आम युवकों से लेकर प्रभावशाली लोगों तक ने टैटू बनवाने का प्रचलन हो गया था। पहलगाम हमले के बाद टैटू हटाने का चलन बढ़ रहा है।
टैटू हटवाने की भीड़ के चलते खरीदनी पड़ी नई मशीन
लेजर तकनीशियन बशीर ने कहा कि टैटू हटवाने वालों की बढ़ती संख्या देखते हुए उन्हें 10 लाख रुपए की नई मशीन खरीदनी पड़ी। कई लोग मानसिकता में बदलाव तो कुछ लोग डर कर टैटू हटवा रहे हैं।