मुस्लिम यूथ लीग ने दर्ज करवाया था मामला
इस बयान के बाद मुस्लिम यूथ लीग के नेता मुहम्मद शिहाब की शिकायत पर एराट्टुपेट्टा पुलिस ने उनके खिलाफ BNS) की धारा 196(1)(a) और 299, साथ ही केरल पुलिस एक्ट की धारा 120(o) के तहत मामला दर्ज किया था। ये धाराएं धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसे अपराधों से जुड़ी हैं। जॉर्ज ने पहले कोट्टायम सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत की मांग की थी, लेकिन वहां से राहत न मिलने पर वे हाई कोर्ट पहुंचे।
कोर्ट ने कहा- जमानत दी तो जाएगा गलत संदेश
हाई कोर्ट के जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने शुक्रवार को उनकी याचिका खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जॉर्ज ने 2022 के एक पिछले मामले में दी गई जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है, जिसमें उन्हें धार्मिक दुश्मनी फैलाने या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयान देने से मना किया गया था। जस्टिस ने कहा, “अगर ऐसे मामलों में जमानत दी गई, तो यह समाज को गलत संदेश देगा। लोग सोचेंगे कि जमानत की शर्तें तोड़ने के बाद भी कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल सकती है। ऐसा संदेश समाज में नहीं जाना चाहिए।” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि जॉर्ज का बयान के बाद माफी मांगना स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि वे एक लाइव टीवी डिबेट में बोल रहे थे और उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए थी। जॉर्ज, जो सात बार विधायक रह चुके हैं और पहले केरल कांग्रेस (M) के नेता थे, बाद में बीजेपी में शामिल हुए थे। उनके इस बयान ने भारी विवाद खड़ा किया था। हाई कोर्ट के फैसले के बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने की तैयारी शुरू की थी, लेकिन जॉर्ज ने खुद कोर्ट में सरेंडर कर दिया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर प्रदर्शन भी किया, लेकिन कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।