ईरान से खाली हाथ लौटे शहबाज
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने शहबाज की बातों पर तटस्थ प्रतिक्रिया देते हुए केवल इतना कहा कि उन्हें खुशी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष समाप्त हुआ और आशा है कि दोनों देशों के मतभेद सुलझेंगे। यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान के लिए निराशाजनक रही, जिसने कश्मीर का मुद्दा जोर-शोर से उठाने की कोशिश की थी। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने भी संयुक्त प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि ईरान क्षेत्रीय शांति का समर्थक है और भारत-पाक के बीच वार्ता को प्राथमिकता देता है। इस पर मजबूर होकर शहबाज को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि कश्मीर, जल-बंटवारे और व्यापार समेत दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान खोजने के लिए पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत को तैयार है।
भारत को दुनिया भर से समर्थन
दूसरी ओर, दुनिया के कई देशों ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया है। जहां-जहां भारतीय सांसदों और राजनेताओं के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दौरा कर रहे हैं, उन सभी राष्ट्रों ने आतंकवाद को लेकर भारत की जीरो-टॉलरेंस नीति का समर्थन किया है। पाकिस्तान के बार-बार भारत पर आरोप लगाने की कोशिशें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कमजोर पड़ रही हैं। भारत की विदेश नीति और जवाबी कार्रवाई को वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है, जबकि पाकिस्तान को लगातार अलग-थलग महसूस करना पड़ रहा है। भारत और पाकिस्तान की डिफेंस स्ट्रैंथ, विदेशों से कौन कितना खरीदता है हथियार" target="_blank">भारत और पाकिस्तान की डिफेंस स्ट्रैंथ, विदेशों से कौन कितना खरीदता है हथियार