आरोपी का नाम और भूमिका
गिरफ्तार आरोपी का नाम सहदेवसिंह दीपुभा गोहिल है, जो कच्छ ज़िले के माता-ना-मढ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा पर बहुपरकारी स्वास्थ्यकर्मी (Multipurpose Health Worker – MPH) के रूप में तैनात था। एटीएस के अनुसार, गोहिल ने बीएसएफ (BSF) और भारतीय नौसेना से संबंधित संवेदनशील तस्वीरें और वीडियो एक अज्ञात महिला एजेंट को भेजे, जो खुद को आदिति भारद्वाज के नाम से बताती थी।
व्हाट्सएप पर हुआ संपर्क, नकद भुगतान भी मिला
एटीएस अधिकारियों ने बताया कि 2023 के मध्य में गोहिल का संपर्क आदिति भारद्वाज से व्हाट्सएप पर हुआ। महिला ने खुद को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की एजेंट बताया और गोहिल से कच्छ क्षेत्र में बीएसएफ और नौसेना की निर्माणाधीन और हाल ही में बने सुरक्षा प्रतिष्ठानों की तस्वीरें और वीडियो भेजने के लिए कहा। इसके बाद 2025 की शुरुआत में गोहिल ने अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल कर एक नया सिम खरीदा, जिस पर व्हाट्सएप सक्रिय कर वह सिम कार्ड भारद्वाज को सौंप दिया। वह इसी माध्यम से संवेदनशील जानकारी साझा करता रहा। जांच में यह भी सामने आया है कि गोहिल को इस जासूसी के बदले एक बिचौलिए के माध्यम से ₹40,000 रुपए नकद मिले।
तकनीकी निगरानी और केंद्रीय एजेंसियों की मदद से गिरफ्तारी
1 मई को एटीएस ने तकनीकी निगरानी और खुफिया सूचनाओं के आधार पर गोहिल को हिरासत में लिया, जिसके बाद औपचारिक गिरफ्तारी की गई। उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 61 (आपराधिक षड्यंत्र) और 148 (सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने या उसमें सहायता करने) के तहत मामला दर्ज किया गया है। गोहिल के मोबाइल से कई जानकारियां डिलीट कर दी गई थीं, जिसे अब फॉरेंसिक साइंस लैब भेजा गया है ताकि डेटा की पुनर्प्राप्ति की जा सके।
पाकिस्तानी एजेंटों की सोशल मीडिया पर सक्रियता चिंता का विषय
एटीएस अधिकारियों ने बताया कि हाल के महीनों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों द्वारा भारतीय नागरिकों को सोशल मीडिया के माध्यम से झांसे में लेने की घटनाएं बढ़ी हैं। एजेंट अक्सर महिलाओं के रूप में खुद को प्रस्तुत कर भावनात्मक या आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निशाना बनाते हैं। अधिकारी ने कहा, इनके पास एक बड़ा डेटाबेस होता है और वे अलग-अलग लोगों को संपर्क करते हैं। कुछ लोग लालच या भावनात्मक जाल में फंस जाते हैं और संवेदनशील जानकारी साझा कर बैठते हैं। गुजरात में पिछले मामलों की पृष्ठभूमि
कच्छ मामले से पहले नवंबर 2024 में देवभूमि द्वारका ज़िले के ओखा तालुका के अरम्बदा गांव के निवासी दीपेश बटुक गोहिल को गिरफ्तार किया गया था। वह तीन साल तक भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के जहाजों पर काम कर चुका था और सहीमा नामक फेसबुक अकाउंट के जरिए एक पाकिस्तानी एजेंट को जहाजों की जानकारी भेजने के आरोप में पकड़ा गया था। उसे 42,000 रुपए मिले थे।
इसी तरह अक्टूबर 2024 में पोरबंदर के पंकज कोटिया को रिया नामक पाकिस्तान-आधारित महिला एजेंट को तटरक्षक जहाजों की जानकारी भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसे 26,000 रुपए विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से मिले थे।