बारिश के लिए कर रहे प्रार्थना
पर्यटकों की कमी के चलते अधिकांश रिसॉर्ट, होमस्टे और होटल खाली पड़े हैं। पूर्ण रूप से पर्यटकों पर निर्भर टैक्सी और जीप चालक बेरोजगार हो गए हैं। चिकमगलूरु जिले के कलसा तहसील के अधिकांश पर्यटन स्थल वीरान नजर आ रहे हैं। कई जगह कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई है। ऐसे में बारिश के लिए प्रार्थना की जा रही है। यब भी पढ़ें: आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ाने की सिफारिश, आयु सीमा घटाने और इलाज की राशि डबल करने का प्रस्ताव स्थानीय कारोबार पर असर
अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर चिकमगलूरु में वैसे तो सालभर पर्यटकों की आवाजाही रहती है पर जंगल में लगी आग के कारण प्रमुख पर्यटन स्थलों के घास के मैदान जल चुके हैं। ऐसे में गर्मी से बचने के लिए पर्यटक मलनाड का रुख कर रहे हैं। जंगल की आग की आशंका के चलते ट्रैकिंग के लिए मशहूर गलीगुड्डा, रानी झारी, बल्लारायण दुर्गा, कुद्रेमुख और नेत्रवती पर्वतमाला की ओर जाने से पर्यटकों को रोका जा रहा है जिससे स्थानीय कारोबार पर गहरा असर पड़ा है। सप्ताहांत में मुल्लायनगिरी, होन्नम्मानहल्ला, झारी फॉल्स, माणिक्यधारा झरने और बाबाबुदनगिरी इलाकों में जरूर कुछ पर्यटक दिखे, पर पहले वाली रौनक गायब थी।
कर्नाटक कॉफी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य
भारत में कॉफी का सबसे बड़ा उत्पादक कर्नाटक है। देश के कुल कॉफी उत्पादन में इसका 70 फीसदी योगदान है। इसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान आता है। यहां मुख्य रूप से अरेबिका और रोबस्टा किस्में उगाई जाती हैं। अनुकूल जलवायु के चलते राज्य में कॉफी की खेती चिकमगलूरु, कोडागू और हासन जिलों के पहाड़ी इलाकों में होती है। कॉफी आंकड़ों की जुबानी
- 2023-24 में कॉफी उत्पादन 3,60,500 टन था, 2024-25 के लिए अंतिम आंकड़ा 3,63,300 टन
- 2034 तक देश के कॉफी उत्पादन और कॉफी निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य
- कॉफी उत्पादन को 2047 तक लगभग तिगुना बढ़ाकर 9 लाख टन करने की योजना