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CM Nitish Kumar से बेटे को लेकर सवाल पूछकर क्या ‘गेम’ करने की तैयारी में Tejashwi Yadav?

तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार अब “थके हुए” दिखाई दे रहे हैं और बिहार को चलाने में सक्षम नहीं हैं।

पटनाMar 18, 2025 / 01:09 pm

Anish Shekhar

बिहार की सियासत में इन दिनों एक नया सियासी खेल देखने को मिल रहा है, जहां विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके बेटे निशांत कुमार को लेकर सवाल उठा रहे हैं। तेजस्वी की यह रणनीति न केवल जेडीयू को असहज कर रही है, बल्कि बिहार के राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गई है। क्या यह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश है या फिर अपनी पार्टी आरजेडी को मजबूत करने की तैयारी? आइए इस मुद्दे को तथ्यों के साथ समझते हैं।

थके हुए नीतीश कुमार

तेजस्वी यादव पिछले कुछ समय से लगातार नीतीश कुमार से उनके इकलौते बेटे निशांत के राजनीति में आने को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर यह मुद्दा उठाया और कहा कि नीतीश कुमार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उनका बेटा राजनीति में कदम रखेगा। तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार अब “थके हुए” दिखाई दे रहे हैं और बिहार को चलाने में सक्षम नहीं हैं। उनका यह बयान नीतीश की उम्र और स्वास्थ्य को लेकर एक तंज के रूप में देखा जा रहा है, जिससे जेडीयू के खेमे में हलचल मच गई है।
तेजस्वी ने सीधे तौर पर सवाल दागा, “निशांत राजनीति में आएंगे या नहीं, यह मुख्यमंत्री को साफ करना चाहिए।” इस सवाल के पीछे उनकी मंशा नीतीश को कठघरे में खड़ा करने की हो सकती है, क्योंकि नीतीश हमेशा से वंशवादी राजनीति के खिलाफ बोलते आए हैं। ऐसे में अगर निशांत राजनीति में आते हैं, तो यह नीतीश के उस स्टैंड पर सवाल उठा सकता है, जिसे तेजस्वी एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं।
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निशांत की एंट्री से जेडीयू होगी कमजोर?

एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या निशांत के राजनीति में आने से जेडीयू कमजोर होगी? जेडीयू के कई नेता मानते हैं कि नीतीश के बाद पार्टी में नेतृत्व का संकट है। निशांत के आने से जहां कुछ कार्यकर्ताओं को नया जोश मिल सकता है, वहीं यह भी संभव है कि पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़े और बीजेपी जैसी सहयोगी पार्टियां इसे जेडीयू को कमजोर करने के मौके के रूप में देखें। तेजस्वी ने यह भी कहा कि निशांत के आने से जेडीयू को बचाने की संभावना हो सकती है, लेकिन यह बीजेपी को पसंद नहीं आएगा, जो कथित तौर पर जेडीयू को “हड़पने” की कोशिश में है।

तेजस्वी को क्या चैलेंज कर सकते हैं निशांत

दूसरी ओर, क्या निशांत के आगे आने से आरजेडी को मजबूती मिलेगी? तेजस्वी शायद यह मानते हैं कि निशांत का राजनीति में आना उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर निशांत जेडीयू में एक नया चेहरा बनकर उभरते हैं, तो तेजस्वी खुद को बिहार की युवा राजनीति के सबसे मजबूत नेता के रूप में पेश कर सकते हैं। आरजेडी पहले से ही युवा वोटरों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है, और निशांत के आने से यह मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है।
कुल मिलाकर, तेजस्वी का नीतीश से बार-बार निशांत को लेकर सवाल पूछना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है। यह न केवल नीतीश को व्यक्तिगत रूप से निशाना बना रहा है, बल्कि जेडीयू की एकता और भविष्य की राजनीति पर भी सवाल खड़े कर रहा है। अब यह देखना बाकी है कि नीतीश इस “गेम” का जवाब कैसे देते हैं और क्या निशांत सचमुच बिहार की सियासत में कदम रखते हैं।

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