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राज्यसभा में पेश हुई वक्फ बिल की JPC रिपोर्ट, खरगे बोले- फर्जी रिपोर्ट की पेश

विपक्षी सांसदों का आरोप है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश करता है और वक्फ बोर्डों को नुकसान पहुंचाने वाला है।

भारतFeb 13, 2025 / 11:42 am

Anish Shekhar

संसद में आज वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस 600 पन्नों की रिपोर्ट को सबसे पहले राज्यसभा में पेश किया गया, जहां इसके तुरंत बाद हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी की, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई। इस रिपोर्ट को भाजपा सांसद संजय जायसवाल और संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के द्वारा किया गया।
वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन से जुड़े मुद्दों का समाधान करना है, जिसके लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन किया जाएगा। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश करता है और वक्फ बोर्डों को नुकसान पहुंचाने वाला है।
समिति की रिपोर्ट पहले ही 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी जा चुकी थी और आज इसे लोकसभा में भी प्रस्तुत किया जाना था। लेकिन, जैसे ही रिपोर्ट पेश की गई, विपक्षी सांसदों ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए विरोध जताना शुरू कर दिया। इसके परिणामस्वरूप लोकसभा की कार्यवाही को भी दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

विपक्ष का विरोध:

विपक्षी दलों ने वक्फ विधेयक की विभिन्न धाराओं पर आपत्ति जताई है, खासकर उन प्रावधानों पर जो मुस्लिम धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप की संभावना बढ़ाते हैं। उनका कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है।

इमरान मसूद बोले- मुसलमानों के खिलाफ बनाया जा रहा नफरत का माहौल

कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने इस विधेयक के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, “मुसलमानों के खिलाफ एक नफरत का माहौल बनाया जा रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस विधेयक के जरिए मुसलमानों को निशाना बना रही है और उनके अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।
इसके अलावा, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी इस विधेयक को संविधान के खिलाफ करार दिया। उन्होंने कहा, “हम इस बिल के खिलाफ हैं। हमें संविधान के तहत जो अधिकार मिले हैं, यह विधेयक उनके खिलाफ है। यह बिल इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा।” प्रतापगढ़ी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने उनके और अन्य विपक्षी नेताओं के डिसेंट नोट्स को हटा दिया है, जो इस विधेयक के खिलाफ थे। उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यकों को टार्गेट करना इनका एजेंडा है।”

भाजपा और समिति की प्रतिक्रिया:

भाजपा के सांसदों का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना है और इसमें जो प्रस्तावित संशोधन हैं, वे इस संपत्ति के बेहतर उपयोग की दिशा में एक कदम हैं। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाएगा और इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के हित में काम करना है।

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