बीजेपी अदालतों पर डाल रही दबाव
दरअसल, बीबीसी के हार्डटॉक पर वरिष्ठ पत्रकार स्टीफन सैकर को दिए गए साक्षात्कार में उनसे एक संपादकीय का जिक्र कर पूछा गया कि विपक्षी दलों का मानना है कि सत्तारूढ़ बीजेपी अदालतों पर दबाव डाल रही है। चंद्रचूड ने इस विचार को खारिज करते हुए भारत के राजनीतिक परिदृश्य की विविधता को उजागर किया और कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सफलता को बताया। उन्होंने कहा, “2024 के आम चुनावों के परिणामों ने उस मिथक को तोड़ दिया कि भारत एक पार्टी राज्य की ओर बढ़ रहा है।” उन्होंने कहा कि कई भारतीय राज्यों में क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां बेहद सफल रही हैं और वे उन राज्यों में सत्ता में हैं।
राहुल गांधी को लेकर क्या बोले चंद्रचूड
राहुल गांधी की मानहानि मामले में सजा पर पूछे गए सवाल पर चंद्रचूड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस फैसले पर रोक लगा दी थी, जो अदालत की निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने कई राजनीतिक नेताओं का उदाहरण दिया जिन्हें बेल मिली, यह दिखाते हुए कि उच्च न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं की रक्षा करता है। उन्होंने कहा, “व्यक्तिगत मामलों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह तथ्य है कि सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं की रक्षा में अग्रणी रहा है, यही कारण है कि न्यायपालिका को लोगों का विश्वास है”।
चंद्रचूड के घर क्यों आए थे मोदी?
चंद्रचूड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तब के मुख्य न्यायधीश के घर गणेश चतुर्थी के अवसर पर किए गए दौरे के बारे में भी सवाल किया गया। विपक्षी नेताओं ने इस दौरे को लेकर आलोचना की थी। इस पर चंद्रचूड ने कहा कि “संविधानिक पदों के बीच बुनियादी शिष्टाचार से ज्यादा कुछ नहीं बनाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “हमारा सिस्टम इतना परिपक्व है कि यह समझता है कि उच्च संविधानिक पदों के बीच शिष्टाचार का पालन करने का किसी केस के निपटान से कोई संबंध नहीं है।” पूर्व मुख्य न्यायधीश ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए जैसे कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स मामले में और उसके बाद भी सरकार के खिलाफ कई फैसले दिए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि “लोकतांत्रिक समाज में न्यायपालिका का रोल वही है जो संसद में विपक्ष का है। हम यहां मामले तय करने और कानून के अनुसार कार्य करने के लिए हैं।”