संवेदनशील क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
इस बीच राज्य की राजधानी के जेंथोंग, सिंगजमेई, मोइरांगखोम, केइसमपट और कंगला गेट जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इस बीच मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष के. मेघचंद्र ने सिंह के इस्तीफे का स्वागत किया है, लेकिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया है। उन्होंने कहा, कांग्रेस एक नए नेता और नई सरकार को चाहती है। हम राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की किसी भी योजना का विरोध करते हैं, क्योंकि जनता के जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए। दूसरी ओर कुकी-जो संगठन के एक प्रवक्ता ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। उनका कहना है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए। नया मुख्यमंत्री भी कोई बदलाव नहीं ला पाएगा। तो राष्ट्रपति शासन लगना तय
मणिपुर में बीजेपी को मुख्यमंत्री पद के लिए एक नए चेहरे का चयन करना है और इसके लिए केवल 24 घंटे का समय है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी को 12 फरवरी तक नए मुख्यमंत्री का नाम तय करना होगा। यदि ऐसा नहीं हो पाता है, तो नियमों के अनुसार विधानसभा को भंग कर दिया जाएगा। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हो रही है क्योंकि पिछले विधानसभा सत्र को 12 अगस्त 2024 को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। अगर 12 फरवरी तक विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया जाता है, तो विधानसभा को भंग कर दिया जाएगा और यह राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए उपयुक्त स्थिति बन जाएगी।
इसलिए एन बीरेन सिंह को देना पड़ा इस्तीफा
3 मई, 2023 को मणिपुर में शुरू हुए जातीय संघर्ष ने राज्य में हिंसा और अस्थिरता पैदा की, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे गए। कुकी-जो समुदाय के नेताओं ने इस संघर्ष के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को जिम्मेदार ठहराया, जिससे उनका राजनीतिक दबाव बढ़ा। मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके ही खेमे के भाजपा विधायक असंतुष्ट हो गए थे। उन्होंने अक्टूबर 2024 में पीएमओ और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मुख्यमंत्री के पद पर बदलाव की मांग की थी। हालांकि, भाजपा नेतृत्व ने शुरुआत में उनका समर्थन किया, लेकिन असंतोष बढ़ता गया।