Deadly Rain in UP – Bihar: बिहार के नालंदा जिले के नगवां गांव में गुरुवार, को एक ऐसी त्रासदी लेकर आया, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। दोपहर के बाद आसमान अचानक काले बादलों से घिर गया, और तेज हवाओं के साथ शुरू हुई आंधी-बारिश ने प्रकृति के क्रूर रूप को सामने ला दिया। मानपुर थाना क्षेत्र के इस छोटे से गांव में लोग तूफानी बारिश और बिजली के कहर से बचने के लिए एक मंदिर में शरण लेने पहुंचे। मंदिर, जो हमेशा से आस्था और सुरक्षा का प्रतीक रहा, उस दिन मौत का ठिकाना बन गया। मंदिर के पास खड़ा एक विशाल पीपल का पेड़ आंधी की चपेट में आकर जड़ से उखड़ गया और सीधे मंदिर की छत पर जा गिरा। इस हादसे में छह लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
नगवां गांव में हुई इस घटना ने पूरे समुदाय को सदमे में डाल दिया। मंदिर में मौजूद लोग बारिश और बिजली के प्रकोप से बचने के लिए वहां जमा हुए थे। बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं समेत कई लोग मंदिर की छत के नीचे खड़े थे, यह सोचकर कि यह जगह उन्हें सुरक्षा देगी। लेकिन प्रकृति ने पलक झपकते ही सब कुछ तबाह कर दिया। पीपल का वह विशाल पेड़, जो शायद दशकों से मंदिर के पास खड़ा था, तेज हवाओं के झोंके में टूटकर मंदिर पर गिर पड़ा। मलबे में दबकर छह लोगों की सांसें थम गईं, और बाकी लोग चीख-पुकार के बीच मदद की गुहार लगाने लगे।
स्थानीय लोगों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, लेकिन मलबा इतना भारी था कि कई घायलों को समय पर निकालना मुश्किल हो गया। पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य में जुट गईं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां कुछ की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
नगवां गांव की यह घटना नालंदा जिले में उस दिन हुए कहर का केवल एक हिस्सा थी। जिले में आंधी, बारिश और वज्रपात ने कुल 22 लोगों की जान ले ली। इस्लामपुर प्रखंड के जैतीपुर गांव में एक अन्य हृदयविदारक हादसे में दीवार ढहने से एक महिला और उसके दो पोतों की मलबे में दबकर मौत हो गई। रहुई प्रखंड के देकपुरा गांव में एक मुर्गी फार्म की दीवार गिरने से मां और बेटे की जिंदगी खत्म हो गई। इन हादसों ने नालंदा को दुख और शोक के सागर में डुबो दिया।
बिहार में प्रकृति का प्रकोप
नालंदा के अलावा बिहार के अन्य जिलों में भी आंधी-बारिश और वज्रपात ने भारी तबाही मचाई। पूरे राज्य में इस प्राकृतिक आपदा ने 61 लोगों की जान ले ली। कोसी-सीमांचल और पूर्वी बिहार में वज्रपात से नौ लोगों की मौत हुई। पटना में चार, भोजपुर और सीवान में चार-चार, गया और गोपालगंज में तीन-तीन, जमुई, मुजफ्फरपुर, सारण, अरवल, और जहानाबाद में दो-दो, जबकि बेगूसराय, दरभंगा, सहरसा, कटिहार, मुंगेर, मधेपुरा, नवादा, अररिया, और भागलपुर में एक-एक व्यक्ति इस आपदा की भेंट चढ़ गया। कई लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
प्रशासन का राहत कार्य
हादसे की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस हरकत में आए। नगवां गांव में मंदिर के मलबे से शवों को निकालने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने का काम तेजी से शुरू हुआ। बिहार सरकार ने इस आपदा पर त्वरित संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घायलों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में राहत शिविर लगाने और बुनियादी सुविधाएं बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
शोक में डूबा गांव
नगवां गांव में मंदिर के पास अब सन्नाटा पसरा है। जहां कभी लोग आस्था के साथ जमा होते थे, वहां अब मलबे का ढेर और अपनों को खोने का मातम है। गांव के लोग इस हादसे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन छह परिवारों के लिए यह दुख असहनीय है। मृतकों में बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं, जिसने इस त्रासदी को और भी दर्दनाक बना दिया।
यह हादसा एक बार फिर प्रकृति की अनिश्चितता और इसके सामने इंसान की बेबसी को सामने लाता है। मंदिर, जो सुरक्षा का प्रतीक था, उस दिन मौत का गवाह बन गया। अब सवाल यह है कि ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह के दर्द से न गुजरे।
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