‘कोलकाता सरकार सच को दबाओ पर कर रही काम’
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, कोलकाता की सरकार बेटी को न्याय दिलाओ नहीं, बल्कि सच को दबाओ पर काम कर रही थी। कई लोगों के मन में अभी भी संशय है कि यह एक आदमी का काम नहीं हो सकता है। अब सिर्फ यह देखना है कि क्या प्रोटेस्ट करने वाले डॉक्टर, माता-पिता को ये लगता है कि उन्हें इंसाफ मिल पाया है?” शहजाद पूनावाला ने कहा, “सवाल तो यही बनता है कि TMC सरकार ने बलात्कारी को बचाने का हर हथकंडा अपनाया। इतना ही नहीं, डॉक्टरों को धमकियां भी दी गईं। इस बात को देश और पश्चिम बंगाल कभी नहीं भूलेगा।”
सारे सबूत मिटा दिए गए- सांसद रेखा शर्मा
भाजपा की राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा ने आरजी कर मामले पर बात करते हुए कहा, “मेरा मानना है कि ममता सरकार को इससे भी बड़ा झटका लगना चाहिए था। उनके राज्य में इतना बड़ा कांड हुआ और उसके बाद हजारों की तादाद में लोग प्रोटेस्ट पर चले गए। मुझे लगता है कि इस मामले में ममता सरकार शामिल थी। इस मामले में आरोपी को उम्रकैद की बजाय सजा मौत दी जानी चाहिए थी, क्योंकि अस्पताल में घटना घटित होने के बाद वहां धुलाई की गई और सारे सबूत मिटा दिए गए।”
फैसले से हम लोग खुश नहीं है- अग्निमित्रा पॉल
पश्चिम बंगाल की भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने आरजी कर मामले के दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा, “आज के फैसले से हम लोग खुश नहीं है, हमारा विश्वास है कि इस मामले में अकेला दोषी संजय रॉय नहीं है, बल्कि उसके साथ अन्य लोग भी आरजी कर मामले में शामिल थे। संजय रॉय को बचाने के लिए पहले दिन से ही ममता बनर्जी की सरकार ने सारे सबूतों को मिटाया। इतना ही नहीं, पीड़िता का जल्दबाजी में पोस्टमार्टम भी किया गया। दावा किया गया कि संजय ने अकेले ही पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया था, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा नहीं हुआ है।” लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं- कमलजीत सहरावत
भाजपा सांसद कमलजीत सहरावत ने मीडिया से कहा,
आरजी कर मेडिकल कॉलेज का मामला निर्भया कांड के बाद दूसरा ऐसा केस था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस मामले के बाद भारत की हर एक बेटी को लगा कि ऐसी घटना कहीं भी हो सकती है। आज कोर्ट ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है, मेरा मानना है कि पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए सड़क पर उतरने वाले लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अगर कोर्ट द्वारा आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाती, तो बहुत सारे लोगों तक मैसेज पहुंच पाता। यह बंगाल सरकार का फेलियर है, क्योंकि उन्होंने कोर्ट में तथ्यों को सही तरह से पेश नहीं किया।”
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जज अनिरबन दास ने स्पष्ट किया कि यह अपराध मृत्युदंड के योग्य नहीं है, क्योंकि यह “दुर्लभतम में से दुर्लभतम” (Rarest Of The Rare) श्रेणी में नहीं आता। जज ने इस बात पर जोर दिया कि सजा अदालत में पेश किए गए सबूतों के आधार पर होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि रॉय ने तीन घंटे की पूछताछ के दौरान ठोस बयान दिए थे।