Igla-S मिसाइल की खासियतें
कंधे से दागी जाने वाली मिसाइल: Igla-S एक मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे सैनिक अपने कंधे पर रखकर आसानी से दाग सकते हैं। इसका वजन केवल 10.8 किलोग्राम (मिसाइल) और पूरे सिस्टम का वजन 18 किलोग्राम है, जो इसे युद्धक्षेत्र में बेहद सुविधाजनक बनाता है। 6 किलोमीटर की मारक क्षमता: इस मिसाइल की रेंज 5 से 6 किलोमीटर है और यह 3.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक लक्ष्य को भेद सकती है। यह कम ऊंचाई पर उड़ने वाले दुश्मन के ड्रोन, फाइटर जेट और हेलीकॉप्टरों को नष्ट करने में सक्षम है।
इन्फ्रारेड सीकर तकनीक: Igla-S इन्फ्रारेड (IR) सीकर पर आधारित है, जो दुश्मन के विमान के इंजन की गर्मी को ट्रैक करती है। इससे इसे रडार से पकड़ना मुश्किल होता है, जिससे यह युद्ध में अत्यंत प्रभावी है।
हाई-स्पीड और सटीकता: यह मिसाइल 2266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टारगेट की ओर बढ़ती है, जिससे दुश्मन को बचने का मौका नहीं मिलता। इसका वॉरहेड 1.17 किलोग्राम का विस्फोटक होता है, जो छोटे से लक्ष्य को भी नष्ट कर सकता है।
360 डिग्री टारगेटिंग: Igla-S 360 डिग्री से लक्ष्य को ट्रैक और नष्ट कर सकती है, जिससे यह किसी भी दिशा से आने वाले हवाई खतरों के खिलाफ कारगर है।
रणनीतिक महत्व
पाकिस्तान और चीन के खिलाफ मजबूती: हाल के दिनों में पाकिस्तान द्वारा ड्रोन के जरिए हथियारों की तस्करी और चीन की ओर से सीमा पर निगरानी गतिविधियों में बढ़ोतरी ने भारत के लिए हवाई रक्षा को मजबूत करना जरूरी कर दिया है। Igla-S की तैनाती खासकर पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर भारतीय सेना की क्षमता को कई गुना बढ़ाएगी। आपातकालीन खरीद: करीब 260 करोड़ रुपये की इस डील को भारत सरकार की आपातकालीन खरीद नीति के तहत पूरा किया गया है। इसके तहत 48 लॉन्चर और 90 अतिरिक्त मिसाइलों की खरीद की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
मेक-इन-इंडिया को बढ़ावा: रूस ने भारत को Igla-S के लाइसेंस्ड उत्पादन की अनुमति दी है। भारतीय कंपनी, जैसे कि अडानी डिफेंस, रूसी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ मिलकर इस मिसाइल का भारत में निर्माण करेगी, जिससे स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बल मिलेगा।
सीमा पर तैनाती
रक्षा सूत्रों के अनुसार, Igla-S मिसाइलों को विशेष रूप से पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर अग्रिम चौकियों पर तैनात किया जा रहा है। ये मिसाइलें भारतीय सेना की वायु रक्षा इकाइयों को त्वरित और सटीक जवाबी कार्रवाई की क्षमता प्रदान करेंगी। इसके अलावा, सेना ने स्वदेशी इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम भी तैनात किया है, जो 8 किलोमीटर दूर से ड्रोन को नष्ट कर सकता है।
भारत-रूस सैन्य सहयोग
रूस लंबे समय से भारत का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच भारत के हथियार आयात में रूस की हिस्सेदारी 45% थी। Igla-S डील इस मजबूत सैन्य सहयोग का एक और उदाहरण है। रूसी हथियार निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के सीईओ अलेक्जेंडर मिखीव ने कहा, “भारत में Igla-S का उत्पादन शुरू करना दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।”