यह कहानी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के रामनगर गांव के एक साधारण किसान मुकेश कुमार की है। खेती और ईंट भट्टों पर मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले मुकेश ने अपने माता-पिता को हवाई यात्रा कराने का सपना देखा था। खेतों में काम करते समय जब वे आकाश में उड़ते हुए हवाई जहाजों को देखते थे तो कल्पना करते कि उनमें बैठकर ऊपर से दुनिया कैसी दिखाई देती होगी। अपने माता-पिता से भी उन्होंने यह वादा किया था कि एक दिन उन्हें हवाई जहाज में सफर जरूर कराएंगे। हालांकि, उनके माता-पिता ने इसे गरीबी की जंजीरों में जकड़ी एक असंभव सी इच्छा मानकर टाल दिया।
99 रुपए में पूरा हुआ हवाई यात्रा का सपना
मुकेश ने एक दिन हिम्मत जुटाकर अलीगढ़ हवाई अड्डे पर टिकट की जानकारी लेने पहुंचे। उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि कम दूरी के लिए भी टिकट की कीमत चार से पांच हजार रुपये थी। लेकिन किस्मत ने करवट ली जब उन्होंने ‘उड़ान योजना’ के तहत महज 99 रुपए के बेस फेयर पर टिकट उपलब्ध होने की सूचना पाई। यह अवसर फ्लाईबिग एयरलाइंस द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से एक विशेष अभियान के तहत प्रदान किया गया था। जिसमें हर उड़ान में पांच सीटें ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर 99 रुपए बेस फेयर पर दी गई थीं। अन्य करों और शुल्कों को जोड़कर भी कुल किराया महज 354 रुपए बैठा। मुकेश ने बिना देर किए टिकट बुक कराया और 15 अप्रैल 2024 को अपने माता-पिता को लेकर अलीगढ़ से लखनऊ की फ्लाईबिग एयरलाइंस की उड़ान भरी। यह पल उनके जीवन का एक अविस्मरणीय क्षण था।
अयोध्या की यात्रा और राम मंदिर के दर्शन
हवाई यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए मुकेश के पिता ने बताया कि खिड़की से बाहर झांकते समय बड़े-बड़े मकान भी छोटे-छोटे खिलौनों जैसे दिखाई दे रहे थे। यह दृश्य उनके लिए कल्पना से भी सुंदर था। गरीबी के बीच जन्मा एक सपना उस दिन आकाश में साकार हो रहा था। लखनऊ पहुंचने के बाद मुकेश ने अपने माता-पिता को अयोध्या भी ले जाया, जहां उन्होंने नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में दर्शन किए। इस यात्रा ने उनके जीवन में आध्यात्मिक संतोष भी भर दिया।
जानिए ‘उड़ान’ योजना का महत्व
27 अप्रैल 2017 को शुरू की गई ‘उड़ान’ योजना के तहत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कम दूरी की उड़ानों का किराया आम आदमी की पहुंच में रहे। दूरी के आधार पर अधिकतम किराया तय करने के बावजूद एयरलाइंस को इससे कम किराया ऑफर करने की स्वतंत्रता दी गई है। योजना के तहत पहली उड़ान 27 अप्रैल 2017 को दिल्ली से शिमला के बीच भरी गई थी। इसके पहले यात्री भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने थे। तब से यह पहल लाखों भारतीयों के हवाई सफर के सपनों को पंख दे रही है।